सिम स्वैपिंग और सिम क्लोनिंग एक ऐसी तकनीक है, जिससी मदद से किसी भी सिम का डुप्लीकेट सिम बनाया जा सकता है। सिम स्वैप का मतलब है सिम एक्सचेंज, जिसमें आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन कर लिया जाता है। ऐसा होते ही आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और फोन से सिग्नल गायब हो जाते हैं। अब आपके नंबर से रजिस्टर हुए दूसरे सिम पर आने वाले ओटीपी को इस्तेमाल करके कोई भी व्यक्ति आपके पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है।
ऐसे होती है ठगी सबसे पहले आपके पास एक व्यक्ति का कॉल आएगा, जो यह दावा करता है वो एयरटेल, आइडिया या फिर किसी भी कंपनी का सर्विस प्रवाइडर का एग्जिक्युटिव है और कहता है कि वो कॉल ड्रॉप ठीक करने और इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने की बात करते हैं। ध्यान दें कि जब यह बात करते हैं तो इसकी पूरी कोशिश होती है कि वो आपके 20 डिजिट वाला यूनिक नंबर जान लें। इस दौरान आपको एक नंबर दबाने के लिए कहा जाएगा, जिससे ऑथेंटिकेशन प्रकिया पूरी होती है और सिम स्वैपिंग को अंजाम दिया जाता है। बता दें कि यूनिक नंबर आपके सिम कार्ड के पीछे ही लिखा होता है।
अगर आपका सिम स्वैप हो गया तो आपके मोबाइल नेटवर्क का सिग्नल बंद हो जाएगा और वही दूसरी ओर आपके नंबर वाले स्कैमर के सिम कार्ड वाले फोन में पूरे सिग्नल आ जाएंगे। बता दें कि ज्यादातर लोगों के पास आपकी बैंकिंग आईडी और पासवर्ड होते हैं। इसके बाद उन्हें सिर्फ ओटीपी की जरूरत होती है। ऐसे में वो सिम स्वैप करके आपके ओटीपी को जान लेते हैं और आपके बैंक अकाउंट से पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद वो नकली सिम कार्ड को तोड़ देते हैं और आपका सिग्नल आने लगता है।
ठगी से ऐसे बचें अगर आपके पास किसी टेलिकॉम कंपनी से कॉल आए और वो नंबर पूछे तो उन्हें अपनी जानकारी न साझा करें। बता दें कि स्कैमर्स अक्सर 20 डिजिट वाले सिम कार्ड नंबर के बारे में पूछते हैं। ऐसे में उन्हें जानकारी ने दें वरना लेने के देने पड़ सकते हैं। स्कैमर्स सिम कार्ड नंबर पता करने के बाद 1 नंबर दबाने के लिए कहते हैं, जिससे की ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाए। इसके लिए एक नंबर को प्रेस न करें। वहीं अगर बैंक से कॉल आता है और वो इस तरह से कुछ पूछे तो जानकारी देने से बचे।