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अमरीकी पूर्व सैन्य सलाहकार ने जताई चिंता, कहा-शांति समझौता अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए है गंभीर खतरा

पूर्व सैन्य सलाहकार जॉन बोल्टन ने चेतावनी दी है कि तालिबान को कानूनी मान्यता देना अमरीका के शत्रुओं को गलत संदेश होगा।

Mar 02, 2020 / 04:58 pm

Mohit Saxena

john bolton

अमरीकी पूर्व सैन्य सलाहकार जॉन बोल्टन।

वाशिंगटन। तालिबान और अमरीका के बीच हुआ शांति समझौता कई विशेषज्ञों को खटक रहा है। इस मामले को लेकर अमरीका के पूर्व सैन्य सलाहकार जॉन बोल्टन (John bolton) ने चेतावनी दी है कि शनिवार को हुए शांति समझौते से अमरीकी नागरिकों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह बराक ओबामा की तरह की एक डील है, जिसका ट्रंप विरोध करते रहे हैं। बोल्टन के अनुसार तालिबान को कानूनी मान्यता देना अमरीका के शत्रुओं को गलत संदेश होगा।
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अफगानिस्‍तान शांति समझौते पर हस्‍ताक्षर के बाद बोल्‍टन ने ट्वीट कर कहा कि तालिबान के साथ इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने से अमरीका की नागरिक आबादी को खतरा पैदा हो गया है। यह ओबामा की तरह की एक डील है। तालिबान को कानूनी मान्‍यता देने से सामान्‍य तौर पर आईएसआईएस और अलकायदा के आतंकवादियों तथा अमरीकी के शत्रुओं को गलत संदेश जाएगा।
शांति समझौते पर हुए हस्ताक्षर

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में शांति के लिए अमरीका और तालिबान के बीच शनिवार को कतर में एक शांति समझौता हुआ। इसमें अमरीका ने ऐलान किया कि अगर तालिबान शांति समझौते का पालन करता है तो वह और उसके सहयोगी 14 माह के अंदर अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेंगे। अमरीका और अफगानिस्तान ने अपने संयुक्त बयान में यह बात कही है।
अमरीकी फौज के अफगानिस्तान से हटने के बाद तालिबान सशस्त्र संघर्ष छोड़ देगा। इस डील पर सहमति भी इसी उद्देश्य से बनी है। दरअसल, तालिबान को देश में विदेशी सैनिकों के होने पर गहरी आपत्ति थी। तालिबान के साथ समझौता सफल रहता है तो यह भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में 18 साल से चल रहे सशस्त्र संघर्ष का समापन होगा।
तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमरीका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने को तैयार है,लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमरीका अपने सैनिकों की वापसी के लिए बाध्य नहीं है।

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