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खुलासा: कोरोना से बचाव के लिए 6 फीट की दूरी भी नाकाफी, जानिए क्या है बचाव का असली तरीका?

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सीडीसी ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है।

May 09, 2021 / 04:35 pm

Mohit sharma

खुलासा: कोरोना से बचाव के लिए 6 फीट की दूसरी भी नाकाफी, जानिए क्या है बचाव का असली तरीका?

खुलासा: कोरोना से बचाव के लिए 6 फीट की दूसरी भी नाकाफी, जानिए क्या है बचाव का असली तरीका?

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ( Second wave of coronavirus ) ने भारत समेत पूरी दुनिया में आफत मचा रखी है। दुनिया के तमाम ताकतवर देश इस जानलेवा वायरस की रोकथाम के प्रयास में जुटे हैं, बावजूद इसके इसका प्रकोप पढ़ता जा रहा है। इस बीच यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ( US Centers for Disease Control and Prevention ) कोरोना वायरस संक्रमण ( Coronavirus infection )
को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। एक स्टडी के बाद यूएस सीडीसी ने बताया कि कोरोना वायरस हवा के माध्यम एरोसोल ट्रांसमिशन ( Aerosol transmission ) से भी फैलता है। मतलब अगर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के क्रम में छह फीट की दूरी भी बनाए रखते हैं तो भी हवा में कोरोना की मौजूदगी के चलते संक्रमित हो सकते हैं।

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हवा में मौजूद कोरोना वायरस

कोरोना वायरस को लेकर चली रही रिसर्च के बीच डॉक्टर माइकल ने सीडीसी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बंद कमरे या ऑफिस कोरोना वायरस के फैलाव का नया केंद्र हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हवा में मौजूद कोरोना वायरस के सूक्ष्म कण कई घंटों तक जिंदा रह सकते हैं। इसके साथ ही खुली स्थानों के मुकाबले बंद जगहों पर हवा में कोरोना वायरस के जिंदा रहने की संभावना अधिक रहती है। सीडीसी रिपोर्ट के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के बावूजद हवा में मौजूद कोरोना वायरस के सूक्ष्म कण सांसों के माध्यम से लोगों में शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको बता दें कि पिछले दिनों मशहूर मेडिकल जर्नल लैंसेट ने भी हवा में कोरोना वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की थी।

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हवा में कोरोना वायरस की मौजूदगी बहुत ही चिंता का विषय

वर्जिनिया टेक्नोलॉजी की एरोसोल एक्सपर्ट प्रोफेसर लिंसे मार की माने तो सबसे ज्यादा ध्यान कार्य स्थलों पर देने की जरूरत है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में मौजूद कर्मचारी हवा में मौजूद कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के एरोसोल वैज्ञानिक डोनाल्ड मिल्टन का कहना है कि हवा में कोरोना वायरस की मौजूदगी बहुत ही चिंता का विषय है। उन्होंने भी कार्यस्थलों को सुरक्षित करने पर जोर दिया है कि क्योंििक वहां मौजूूद एक भी संक्रमित कर्मचारी अन्य को आसानी के साथ संक्रमित कर सकता है।

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