मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमरीका इस पूरी स्थिति पर काफी गंभीरता से नजर बनाए हुए है। अभी तक चीन ने उसे हुए नुकसान की कोई पुष्टि नहीं है। लेकिन अमरीकी खुफ़िया एजेंसियों का मानना है कि चीन का भारत से अधिक नुकसान हुआ है। खुफ़िया एजेंसियों का कहना है कि चीन के कम से कम 35 सैनिक हताहत हुए हैं। चीनी सेना का एक सीनियर अफसर भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार सोमवार देर शाम दोनों देशों की सेनाओं की टुकड़ियां गलवान घाटी में आमने-सामने टकरा गईंं। इस हिंसा के बाद घाटी में ही दोनों सेनाओं के सदस्यों की बैठक हुई, जिसमें शांति बनाए रखने पर सहमति बन गई। इस बैठक के बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं।
चाक़ू और रॉड से हुई लड़ाई चीन के सैनिकों के साथ झड़प में किया तरह के हथियार का उपोग नहीं किया गया। इसमें चाकूओं और रॉड का इस्तेमाल किया गया। इस झड़प के दौरान दोंनो ही पक्षों के कई जवान खाई में फिसल गए और उनकी मौत हो गई। अमरीकी खुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक जिनपिंग सरकार इस नुकसान को बताना नहीं चाहती है। वह चीन की जनता के सामने शर्मिंदा महसूस नहीं करना चाहती। कोरोना संक्रमण फैलने के बाद से राष्ट्रपति शी जिनपिंग की लोकप्रियता में बेहद कमी आई है।
अमेरिका के मुताबिक, चीन बीते कुछ समय से अक्साई चिन और लद्दाख के इलाकों में सक्रिय हो गया है। कोरोना संक्रमण का फायदा उठाकर चीन लगातार वियतनाम, हांगकांग और भारतीय सीमा पर दबाव बढ़ाने का काम कर रहा है। भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों से भी चीन काफी परेशान है और इसलिए इस तरह के कदम उठाकर भारत पर दबाव कायम करना चाहता है।
चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद अमरीका ने कहा कि वह हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इस मसले का हल मिल बैठकर आपसी बातचीत से निकाला जाएगा। अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार भारत और चीन दोनों देशों ने तनाव को कम करने की इच्छा जताई है। प्रवक्ता ने कहा कि अमरीका स्थिति पर कड़ी निगरानी कर रहा है। भारत के शहीद 20 जवानों के परिवारों के प्रति अमरीका ने संवेदनाएं प्रकट की है।