दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में एक नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप का नाम नामित किए जाने के पीछे संयुक्त अरब अमीरात ( UAE ) और इजराइल के बीच शांति समझौते को अहम माना जा रहा है। चूंकि ट्रंप ने UAE-इजराइल के बीच शांति समझौते में सबसे अहम भूमिका निभाई थी।
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नॉर्वे के प्रोग्रेस पार्टी से सांसद और नाटो संसदीय सभा के चेयरमैन क्रिश्चियन टाइब्रिंग-गजेड ने इजराइल और UAE के बीच शांति समझौते में ट्रंप की अहम भूमिका को देखते हुए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। इजराइल और UAE के बीच शांति समझौता कराने में ट्रंप ने मध्यस्थता की थी। इन दोनों देशों के बीच 13 अगस्त को समझौता हुआ था।
UAE-इजराइल के बीच समझौते में ट्रंप की भूमिका
टाइब्रिंग ने एक साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप ने इजराइल और UAE के बीच ही केवल समझौता नहीं कराया है, बल्कि उत्तर कोरिया और ईरान के बीच भी चल रहे तनाव को कम करने और शांतिपूर्ण बातचीत की अपील की है। ट्रंप का ये काम बहुत ही सराहनीय है।
टाइब्रिंग ने आगे कहा कि वैश्विक शांति स्थापित करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप से ज्यादा प्रयास इस पुरस्कार के लिए नामित किसी अन्य सदस्य ने नहीं किए हैं। दुनियाभर में जब भी कभी किन्हीं दो देशों के बीच विवाद की स्थिति बनी तो ट्रंप ने इसे सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है। ऐसे में वे इस पुरस्कार के असली हकदार हैं।
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उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार पाने की सभी तीनों पात्रताएं पूरी की है। ट्रंप ने कभी भी किसी अन्य देशों के साथ न तो संघर्ष को बढ़ावा दिया है और न ही किसी तरह के युद्ध की पहल की है। उन्होंने हमेशा बातचीत के जरिए समस्या को सुलझाने की कोशिश की है। ट्रंप ने मध्य पूर्व के देशों में नाटो और अमरीकी सैनिकों की संख्या कम की है। आपको बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान अगले साल यानी अक्टूबर 2021 में होगा।