नए संसद भवन के उद्घाटन पर कई सवाल
नए संसद भवन के उद्घाटन पर हो रही राजनीति से अलग कुछ ऐसे सवाल भी हैं, जिनके जवाब सोशल मीडिया से लेकर गूगल तक पर खोजे जा रहे हैं। तलाशे जा रहे सवालों में नई संसद भवन कैसी है? इसे क्यों बनाया गया? किसने बनाया? जैसे सवाल है।
एक सवाल और है जो कई लोगों में दिमाग में घूम रहा है। यह सवाल है- नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद पुरान पार्लिटामेंट का क्या होगा? क्या पुराने संसद को तोड़ दिया जाएगा? इन सभी सवालों के जवाब जानिए इस विशेष रिपोर्ट में-
सबसे पहले जानिए नए संसद भवन के बारे में
नया संसद भवन पुराने के मुकाबले अधिक भव्य और बड़ा है। इसमें बड़े विधायी कक्ष बनाए गए हैं। भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के आधार पर नई लोकसभा में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। जो पुराने संसद भवन की क्षमता से तीन गुना है। पुरानी लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति बैठ सकते हैं।
नए संसद के राज्य सभा में 348 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है। पुराने राज्यसभा भवन में 250 सदस्यों के बैठने की जगह है। नए संसद की राज्यसभा में बैठने की व्यवस्था राष्ट्रीय फूल कमल के थीम पर की गई है। संयुक्त सत्र के लिए 1,272 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, जिसके तहत बना नया संसद
मोदी सरकार ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण कराया है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। दरअसल, सेंट्रल विस्टा राजपथ के करीब दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं, इसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका भी शामिल है। सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर भी आता है।
क्यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत?
नए संसद भवन के निर्माण के पीछे सरकार का तर्क है कि पुराना संसद भवन करीब 100 साल पुराना है। इसमें सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। इसके अलावा पुराने संसद भवन में सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी आधुनिक चीजों की कमी है।
बदलते समय के साथ संसद भवन में इन्हें जोड़ा तो गया लेकिन उससे भवन में सीलन जैसी अन्य दिक्कतें पैदा हुई। एक्सपर्ट का कहना है कि पुराने संसद भवन में आग लगने का खतरा बढ़ा है। इसके अलावा जब पुरानी संसद भवन का निर्माण हुआ था तब दिल्ली भूकंप के जोन-2 में थी। जो अब बढ़कर जोन-4 में हो गई है।
सभी सांसदों का अलग दफ्तर, भव्य संविधान हॉल
अधिकारियों के अनुसार नए भवन में सभी सांसदों को अलग दफ्तर मिलेगा, जिसमें आधुनिक डिजिटल सुविधाएं होंगी। जिससे पेपरलेस वर्क के लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सके। नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टिट्यूशन हॉल या संविधान हॉल होगा जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को दर्शाया जाएगा। वहाँ भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा।
64500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है नया संसद भवन
नए संसद भवन में सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल, एक लाइब्रेरी, समितियों के लिए कई कमरे, भोजन कक्ष और बहुत सारी पार्किंग की जगह होगी। नए संसद भवन का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। जो मौजूदा संसद भवन से नई संसद का क्षेत्रफल 17,000 वर्ग मीटर अधिक है। नए संसद भवन का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें इसकी भव्यता को देखा जा सकता है।
862 करोड़ रुपए में टाटा ने बनाया है नया संसद भवन
भारत के नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने किया है। सितंबर 2020 में टाटा ने 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर ये ठेका हासिल किया था। नया संसद भवन का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है। नए संसद भवन से पहले एचसीपी डिजाइन ने गांधीनगर में सेंट्रल विस्टा और राज्य सचिवालय, अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, मुंबई पोर्ट कॉम्प्लेक्स, वाराणसी में मंदिर कॉम्प्लेक्स जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट किए हैं।
अब जानिए पुराने संसद भवन के बारे में
मौजूदा संसद भवन का निर्माण अंग्रेजों के शासन काल में हुआ है। पुराने संसद भवन को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने ‘काउसिंल हाउस’ के रूप में डिजाइन किया था। इसे बनाने में छह साल(1921-1927) लगे थे। उस वक्त इस भवन में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी। तब इसे बनाने पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे।
पुराना संसद भवन गोलाकार शेप में है। इसका व्यास 560 फुट (170.69 मीटर) है। इसका क्षेत्रफल छह एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) है। प्रथम तल पर 144 है। इन स्तंभों की ऊंचाई 27 फुट (8.23 मीटर) है। पुराने संसद भवन के 12 है। पुराने संसद भवन पर एक बार आतंकी हमला भी हो चुका है।
पुराने संसद भवन का क्या होगा?
सरकार के अनुसार नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद पुराने संसद भवन को नहीं गिराया जाएगा। मौजूदा संसद भवन का संरक्षण किया जाएगा, क्योंकि यह देश की एक पुरातात्विक संपत्ति है। इसे संसदीय आयोजनों के लिए रिजर्व रखा जाएगा। संसदीय आयोजनों के लिए इसे रेट्रोफिट किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका उपयोग नए भवन के साथ किया जाए।
पुराने संसद भवन की इमारत को इस तरह से व्यवस्थित किया जाएगा कि संसदीय आयोजनों के लिए इसे नए भवन के साथ इस्तेमाल किया जा सके। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मार्च 2021 में राज्यसभा में बताया था कि नया संसद भवन तैयार होने के बाद मौजूदा संसद भवन की मरम्मत करानी होगी।साथ ही उन्होंने इसके वैकल्पिक इस्तेमाल की बात कही थी।
महत्वपूर्ण विरासतों को पुराने संसद भवन में रखा जाएगा
वर्तमान में सभी पेंटिंग्स, मूर्तियां, पांडुलिपियां, संग्रह और अन्य महत्वपूर्ण विरासत और सांस्कृतिक कलाकृतियों को राष्ट्रीय संग्रहालय, भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में रखा गया है। बताया जाता है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद इन सभी विरासतों को पुराने संसद में रखा जाएगा।
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