मौसम विभाग के मुताबिक 1950 से मानसून में होने वाली बारिश अपनी चाल बदल रही है। बारिश लगातार घट रही है। इसकी बड़ी वजह है कि बारिश का एक सीमित या छोटी अवधि में पड़ना।
अनलॉक-4 के बीच देशभर में खुलने जा रहे हैं सिनेमाघर! मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ने उठाया बड़ा कदम देशभर में मानसून में होने वाली बारिश में धीरे-धीरे बड़ा बदलाव देखने को मिला है। 1950 से ही धीरे-धीरे मानसून में होने वाली बारिश घट रही है। इस दौरान होने वाली वर्षा बहुत विषम रही, क्योंकि ज्यातर बारिश एक छोटी अवधि में हुई।
1901 के बाद 2019 में अच्छी बारिश
मौसम के जानकारों की मानें तो 1901 के बाद 2019 में लंबी अवधि तक बारिश हुई। इस दौरान ज्यादा बारिश भी दर्ज की गई थी। आईएमडी की मानें तो देश में इस वर्ष 30 अगस्त की सुबह कुल 771.1 एमएम बारिश हुई थी।
वहीं 1901 से देखा जाए तो 1 जून-30 अगस्त के बीच होने वाली उच्चतम मानसून बारिश में इस वर्ष 11 वीं बार ऐसा हुआ।
आपको बता दें कि 1 जून से 30 सितंबर तक की अवधि को भारत में मानसून सीजन के तौर पर जाना जाता है। इसके साथ-साथ बारिश का एक और पैर्टन बन रहा है। दरअसल मानसून के सीजन के जिस हिस्से में आधी बारिश दर्ज की जाती है उसमें गिरावट देखने को मिल रही है।
पिछले दस वर्षों में 122 दिनों के मानसून अवधि में औसतन सिर्फ 40.4 दिन में 50 फीसदी बारिश ही दर्ज हुई। वहीं 70.6 दिनों में 75 फीसदी बारिश और 94.3 दिनों में 90 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई है।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि लंबी अवधि में होने वाली बारिश में कमी देखने को मिली है। इन आंकड़ों से ये भी पतला चल रहा है कि औसतन बारिश का सीजन जल्द खत्म हो रहा है।
देशवासियों को पसंद नहीं आ रही पीएम मोदी के मन की बात, सोशल मीडिया पर शेयर करते ही लाखों लोगों ने किया डिसलाइक मानसून की बारिश में रीजनल लेवल पर भी काफी असमानता देखने को मिली है। जैसे दिल्ली में 2011-19 के बीच औसतन 83 दिनों में मानसून की बारिश हुई। जबकि दक्षिण राज्य कर्नाटक में सिर्फ 30 दिनों में ही मानसून का सीजन खत्म हो गया।
आपको बता दें कि मौसम विभाग ने गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत देश के पांच से ज्यादा से राज्यों में अगले कुछ घंटों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहां पहाड़ी इलाकों में उत्तराखंड के कई जिलों में भी मानसून जरूरत से ज्यादा मेहरबान रह सकता है।