यूएन रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तालिबान भारत विरोधी व पाक समर्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के 1,020 और जैश ए मोहम्म्द के 230 आतंकियों को हर तरह की सुविधा मुहैया करा रहा है। तालिबान 6,500 पाकिस्तानी आतंकवादियों को प्रशिक्षण देकर उसे आतंकी अभियानों के लिए तैयार कर रहा है।
Pulwama – 2 साजिश में शामिल आतंकी इस्माइल अल्वी है Masood Azhar का रिश्तेदार, रचा था कार बम धमाके का षड्यंत्र भारतीय पक्षकारों को इस समझौते से उम्मीद थी कि इससे अफगानिस्तान में बेहतर माहौल बनेगा और एक नए दौर की शुरुआत होगी जो भारत के हित में भी होगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके उलट भारत के लिए असहज स्थिति उत्पन हो गई है। अब इस क्षेत्र रणनीतिक और सामरिक लिहाज से भी भारत को कई तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी तरफ यूएन के इस रिपोर्ट ट्रंप को विदेश नीति के मोर्चे पर अपने देश में सवालों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें अमरीकि हितों की अनदेखी का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। बता दें कि 29 फरवरी को दोहा में अमरीका और तालिबान के बीच संपन्न शांति समझौते के तहत अमरीका ने अफगानिस्तान से इस शर्त पर अपनी सेना को हटाने का वादा किया था कि तालिबान अलकायदा से संबंध तोड़ लेगा। साथ ही उन आतंकी संगठनों से संबंध नहीं रखेगा और न ही उसकी मदद करेगा जो अमरीकी हितों के खिलाफ काम करते हों। अफगानिस्तान से ऐसे संगठनों को संचालित भी नहीं होने देगा।
दक्षिण असम में भूस्खलन से 20 की मौत, कई घायल शांति समझौते के उलट तालिबान ने न केवल अल-कायदा के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखा बल्कि उनके नेताओं को भरोसा दिया कि अमरीका के साथ शांति समझौते से दोनों के बीच के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
यूएन रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि अमरीका के साथ तालिबान के शांति समझौते पर अल-कायदा ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। इस समझौते को वैश्विक आतंक की जीत के रूप में लिया है।
रिपोर्ट में बतौर सबूत तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों और ओसामा बिन लादेन के बेटे और उत्तराधिकारी हमजा बिन लादेन के बीच 2019 में मुलाकात का जिक्र भी है। इस मुलाकात में तालिबान हमजा को भरोसा दिया था कि इस्लामिक देश अमीरात किसी भी कीमत पर अल कायदा से संबंधों को नहीं तोड़ेगा।