अभेद्य किला बना अमरनाथ का रास्ता
आतंकियों के मंसूबे की जानकारी मिलते ही सुरक्षाबल के जवान और चौकन्ने हो गए हैं। सेना ने अमरनाथ जाने वाले रास्ते को किसी अभेद्य किले की तरह बना दिया है। इलाके में आने वाली सभी गाड़ियों को जीपीएस लगा हुआ आरएफ आईडी स्टिकर्स दिए जा रहे हैं। हर नाकेबंदी पर गाड़ियों को नंबर प्लेट को पढ़ने वाले हाई सेंसर कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा तीर्थ यात्रियों पर सैटेलाइट की मदद से निगरानी, जैमर, बुलेटप्रूफ बंकर और डॉग स्क्वायड आदि की व्यवस्था की गई है।
एनएसजी समेत 40 हजार जवान तैनात इस संबंध में एक अधिकारी ने जानकारी दी कि इस बार जो कड़ी सुरक्षा लागू की जा रही है, उसमें अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस दोनों की भागीदारी होगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसबार सीआरपीएफ को नोडल एजेंसी बनाया गया है, इसलिए इसबार सीआरपीएफ के ही करीब 35 हजार जवान तैनात होंगे। इसके पूरे मार्ग को कवर करने के लिए लिहाज से बालटाल में 118 कंपनियां लगाई गई हैं जिसमें सीआरपीएफ की ही 90 कंपनियां हैं। सबसे बड़ी बात पहली बार घाटी में एनएसजी कमांडो तैनात किए गए हैं।
बगदादी के आतंकियों का हुआ सफाया वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को घाटी में पहली बार आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की उपस्थिति की पुष्टि हुई है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस.पी.वैद ने कहा कि अनंतनाग में गोलीबारी में मारे गए चार आतंकवादियों का संबंध आतंकवादी संगठन आईएस से था। खबर है कि मारे गए ये आतंकी अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने के मकसद से कश्मीर में घुसे थे। इस्लामिक स्टेट ने 2017 में अपनी वेबसाइट पर कहा था कि इसकी भारतीय शाखा अंसार गजवातुल हिंद का नेतृत्व कश्मीरी आतंकवादियों का कमांडर जाकिर मूसा कर रहा है। मारे गए आतंकवादियों की पहचान एचएमटी श्रीनगर के रहने वाले आईएसजेके प्रमुख दाऊद सलाफी उर्फ बुरहान, पुलवामा जिले के तलंगम गांव के रहने वाले मजीद मंजूर, आदिल हसन मीर और अशरफ ईटू (दोनों अनंतनाग के श्रीगुफवाड़ा के रहने वाले) के रूप में हुई है।