आपको बता दें कि तरुण तेजपाल पर चल रहे यौन शोषण मामले में 27 अप्रैल को ही फैसला आना था, लेकिन लगातार ये टल रहा था।
ऐसे टलता गया फैसला
इससे पहले अतिरिक्त जिला अदालत 27 अप्रैल को फैसला सुनाने वाली थी लेकिन न्यायाधीश क्षमा जोशी ने फैसला 12 मई तक स्थगित कर दिया था।
12 मई को फैसला एक बार फिर 19 मई के लिए टाल दिया गया था। अदालत ने पूर्व में कहा था कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते स्टाफ की कमी के कारण यह मामला स्थगित किया गया था।
तरुण तेजपाल ने इससे पहले बंबई हाई कोर्ट का रुख कर अपने ऊपर आरोप तय किए जाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था, हालांकि उनकी यह याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।
– भारतीय दंड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना)
– धारा 342 (गलत मंशा से कैद करना)
– 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना)
– 354-ए (यौन उत्पीड़न), 376 (2) (महिला पर अधिकार की स्थिति रखने वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार)
– 376 (2) (K) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चल रहा था।