सुषमा ने ना सिर्फ पत्नी का बल्कि मां का रोल भी बखूबी निभाया। यही वजह है कि पति कौशल स्वराज और बेटी बांसुरी स्वराज ने सुषमा को सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी। भले ही ये राजकीय सम्मान के तौर पर किया गया सैल्यूट था, लेकिन इसे पीछे एक पति और बेटी की गर्व करने वाली भावनाएं भी छिपी थीं।
पाक को आतंकवाद की फैक्ट्री से संयुक्त राष्ट्र को सुधार की सलाह तक सुषमा स्वराज के पांच दमदार भाषण कुशल नेतृत्व को आखिरी सलामसुषमा स्वराज देश ही नहीं दुनिया की महिला राजनीतिज्ञों में शुमार रहीं। इसकी बड़ी वजह थी उनकी राजनीतिक सोच और कुशल नेतृत्व की क्षमता।
जितनी प्रखर सुषमा अपने राजनैतिक जीवन में रही उतना ही संतुलन उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन में भी बनाए रखा। फिर चाहे वो पत्नी धर्म निभाना हो या फिर मां का फर्ज, सुषमा ने हर भूमिका में बखूबी सामंजस बनाए रखा।
त्योहार मनाने से लेकर जिम्मेदारी संभालने तक
सुषमा स्वराज ने अपना जीवन भले ही राजनीति के नाम समर्पित कर दिया हो, लेकिन परिवार को भी उतनी ही तवज्जो दी जितनी उन्हें जरूरत महसूस हुई।
फिर वो करवाचौथ समेत तमाम त्योहार मनाना हो या फिर बेटी की पढ़ाई से लेकर उसके करियर चुनाव तक हर जिम्मेदारी को संभाला।
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में एम्स में निधन हो गया। मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने के बाद बेहद नाजुक हालत में उन्हें रात 9 बजे एम्स लाया गया लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके घर पहुंच श्रद्धांजलि दी।