आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता सेनानियों गांधी, आजाद, भगत सिंह के खिलाफ इसी कानून का इस्तेमाल करती थी
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विवाद में देशद्रोह मामले को लेकर भले ही सरकार और विपक्षी दलों के बीच जमकर बहस चल रही हो, पर केंद्र इस कानून में बदलाव की तैयारी कर चुका है। देशद्रोह कानून की धारा 124 (ए) की समीक्षा की जा रही है। कानून मंत्रालय ने लॉ कमीशन से इस धारा का अध्ययन करने को कहा था, जिसके बाद कमीशन ने बदलाव के लिए कुछ खास बिंदुओं की पहचान की है। हालांकि इन बिंदुओं को सार्वजनिक नहीं किया गया है। इन पर अभी कानून मंत्रालय विचार करेगा। मंगलवार को लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी।
1870 का कानून
यह कानून अंग्रेजों द्वारा 1870 में बनाया गया था। आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता सेनानियों महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह के खिलाफ इसी कानून का इस्तेमाल करती थी।
थरूर का था प्रस्ताव
पिछले हफ्ते संसद ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के देशद्रोह कानून में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। थरूर ने कहा था, ‘जेएनयू की घटना ने इस कानून के दुरुपयोग की ओर भी ध्यान दिलाया है।
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