पानी के लिए दिल्ली में हो सकता है युद्ध: कोर्ट
आपको बता दें कि जल संकट पर मंगलवार को चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और हम इसे समझ नहीं पा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि भूमिगत जल को दोहन अनावश्यक रुप से किया जा रहा है, और कोई भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। एक सवाल के जवाब में कोर्ट ने कहा कि आप विश्व युद्ध की बात न करें, दिल्ली में यदि यही हालात रहे तो पानी के लिए युद्ध छिड़ सकता है। आपको बता दें कि देशभर में सिंचाई जरुरत का 60प्रतिशत हिस्सा और पेयजल का 85 प्रतिशत हिस्सा भूमिगत जल से पूर्ति होती है। वहीं शहरी जल जरुरतों का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा भूमिगत जल से पूरा किया जाता है।
नीर बढ़ा रहा पीर : सीकर में प्यास बुझाने के लिए भटक रहे जानवर, सड़कों पर फूटता आमजन का गुस्सा
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में भूमिगत जल को लेकर केंद्र सरकार ने एक रिपोर्ट दाखिल की थी। इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने माना है कि दिल्ली में भूमिगत जल का स्तर काफी चिंताजनक है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया है कि राष्ट्रपति भवन के पास भी पानी का स्तर काफी चिंताजनक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति भवन के पास पानी का स्तर बहुत नीचे है। बता दें कि कोर्ट ने अब इस मामले में दिल्ली सरकार और वाटर रिसोर्स से अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। गौरतलब है कि इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी।
पेयजल के आरक्षित जमोनिया तालाब में बचा सात फीट पानी
देश के अन्य भागों में गहराता जल संकट
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली के अलावे देश के अन्य भागों में भूमिगत जल संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देश भर में पीने के पानी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने अपने पिछले रिपोर्ट में बताया था कि 6584 ब्लॉक में सर्वे करने पर पता चला है कि 1034 ब्लॉकों में आवश्कता से अधिक भूमिगत जल को दोहन किया जा चुका है। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि राजस्थान के 248 ब्लॉक में से 66फीसदी बलॉकों में जल का अति दोहन किया गया है। राजस्थान के बाद राजधानी दिल्ली में 56 प्रतिशत स्थानों में भूमिगत जल तय मानक से नीचे पहुंच चुका है।