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Vaccination पर SC का केंद्र से सीधा सवाल, Digital Divide पर क्या है केंद्र का ख्याल?

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ को केंद्र की ओर से सूचित किया गया था कि दिसंबर 2021 के अंत तक सभी का टीकाकरण होने की उम्मीद है। पीठ में एल नागेश्वर राव और एस रवींद्र भट भी शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न आयु समूहों के लिए वैक्सीन की आपूर्ति में विसंगति का हवाला दिया।

May 31, 2021 / 04:50 pm

Saurabh Sharma

SC question to Center on vaccination, what's view on digital divide?

SC question to Center on vaccination, what’s view on digital divide?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपनी कोविड वैक्सीन नीति के संबंध में केंद्र से कड़े सवाल पूछे और विभिन्न खामियों को चिह्न्ति किया, जिसमें टीके की खुराक की कमी, मूल्य निर्धारण के मुद्दे, टीकाकरण के लिए पंजीकरण और वैक्सीन की कमी खासकर देश के ग्रामीण इलाकों में जैसी कमियां गिनाई गईं। सुप्रीम कोर्ट ने सबसे अहम सवाल डिजिटल डिवाइड पर किया? उन्होंने केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा है। आपको बता दें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ को केंद्र की ओर से सूचित किया गया था कि दिसंबर 2021 के अंत तक सभी का टीकाकरण होने की उम्मीद है। पीठ में एल नागेश्वर राव और एस रवींद्र भट भी शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न आयु समूहों के लिए वैक्सीन की आपूर्ति में विसंगति का हवाला दिया।

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डिजिटल डिवाइड कैसे संबोधित करेगी सरकार?
पीठ ने केंद्र से कहा कि नीति निमार्ताओं को अपने कान जमीन पर रखने चाहिए, और मेहता से कहा, “आप डिजिटल इंडिया कहते रहते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में स्थिति वास्तव में अलग है। झारखंड से एक अनपढ़ मजदूर राजस्थान में कैसे पंजीकृत होगा? हमें बताएं आप इस डिजिटल डिवाइड को कैसे संबोधित करेंगे।” मेहता ने उत्तर दिया कि पंजीकरण अनिवार्य है क्योंकि दूसरी खुराक के लिए व्यक्ति का पता लगाने की आवश्यकता है, और ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए पंजीकरण के उद्देश्य से सामुदायिक केंद्र हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, कृपया देश में जो हो रहा है उसे समझें और आवश्यक संशोधन करें। शीर्ष अदालत ने केंद्र को इन चिंताओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

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कीमत पर सवाल
न्यायमूर्ति भट ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि दोहरी नीति का औचित्य क्या है? केंद्र निश्चित राशि पर टीका खरीद रहा है और राज्यों को उचित दर पर देने को तैयार नहीं है? न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूछा, “कीमत केंद्र द्वारा निर्धारित की जाती है। केंद्र के कहने का क्या आधार है कि 45 और उससे अधिक के लिए हम मुफ्त में टीके की आपूर्ति और खरीद करेंगे और 45 से कम के उम्र के लोगों के लिए राज्यों को लाजिस्टिक व्यवस्था करनी होगी?

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क्यों राज्य सरकारों को देनी पड़ रही है टीके की ज्यादा कीमत
पीठ ने केंद्र के वकील से कहा कि सरकार का तर्क 45 से ज्यादा के समूह में उच्च मृत्यु दर था, लेकिन दूसरी लहर में यह समूह गंभीर रूप से प्रभावित नहीं हुआ, बल्कि यह 18-44 आयु वर्ग था। पीठ ने कहा, “यदि उद्देश्य टीके खरीदना है, तो केंद्र केवल 45 से अधिक के लिए ही क्यों खरीदेगा?” पीठ ने केंद्र से यह भी पूछा कि उसने टीकों की कीमत तय करने के लिए निमार्ताओं पर क्यों छोड़ दिया है, और जोर देकर कहा कि केंद्र को राष्ट्र के लिए एक कीमत की जिम्मेदारी लेनी होगी। शीर्ष अदालत ने कहा, क्यों राज्यों को केंद्र की तुलना में टीकों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ा।

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