डॉ. ख्वाजा अहमद ने ‘द मीटिंग्स ऑफ माइंड्स’ नाम से किताब लिखी है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इस कार्यक्रम में कई अहम लोगों ने हिस्सा लिया। यह भी पढ़ेँः
शशि थरूर ने सीखा अंग्रेजी का नया शब्द Pogonotrophy, मतलब समझाते हुए पीएम मोदी से किया कनेक्ट आरएसएस चीफ का बड़ा बयान सामने आया है। मोहन भागवत ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यक्रम में लिंचिंग ( पीटकर मार डालने) की घटनाओं पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि, ऐसे लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि लोगों के खिलाफ लिंचिंग के कुछ झूठे मामले भी दर्ज किए गए हैं।
भागवत ने कहा कि लोगों में इस आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता कि उनका पूजा करने का तरीका क्या है। संवाद है हिंदू-मुस्लिम संघर्ष का समाधान
आरएसएस चीफ ने कहा कि, हिंदू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान ‘संवाद’ है, न कि ‘विसंवाद’। भागवत बोले, ‘हिंदू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं, बल्कि एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।’ लोकतंत्र में हिंदुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता है।
राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती
भागवत ने कहा कि कुछ काम ऐसे हैं जो राजनीति नहीं कर सकती। राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती। राजनीति लोगों को एकजुट करने का हथियार नहीं बन सकती है।
कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘यह सिद्ध हो चुका है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। हिंदू और मुसलमान दो समूह नहीं हैं, एकजुट होने के लिए कुछ भी नहीं है, वे पहले से ही एक साथ हैं।’
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – सभी भारतीयों का डीएनए एक, चाहे वे किसी भी धर्म के हों राजनीति नहीं करता संघ, छवि बनाने के लिए नहीं आयाभागवत ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि वह न तो कोई छवि बनाने के लिए कार्यक्रम में शामिल हुए हैं और न ही वोट बैंक की राजनीति के लिए। उन्होंने कहा कि संघ न तो राजनीति में है और न ही यह कोई छवि बनाए रखने की चिंता करता है।