बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील बी शुक्रे और अनिल ए किलोर की नागपुर पीठ ने वकील अरविंद वाघमरे ( Advocate Arvind Waghmare ) की याचिका पर सुनवाई की और केंद्र को निर्देश दिया कि वे अपने जवाब में हलफनामा दायर करे। साथ ही पीएम केयर्स फंड पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।
जानकारी के मुताबिक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ( ADG Anil Singh ) ने बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ से कहा कि ये याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए। ऐसी ही एक याचिका को अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ( Suprem Court ) ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाले दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
हंसराज कॉलेज के रिसर्चर्स ने बनाया Corona का ड्रग मॉलिक्यूल, patent के लिए दावा ठोका इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि इस याचिका में अलग मुद्दा उठाया गया है। ये सुप्रीम कोर्ट वाले मामले से अलग है।
दरअसल, पीएम केयर्स फंड को लेकर वकील अरविंद वाघमरे की याचिका में कहा गया है कि 28 मार्च को पीएम केयर्स का गठन किया गया था। पहले हफ्ते में ही इसमें 6,500 करोड़ रुपए इकट्ठा हो गए थे। लेकिन अभी तक इससे संबंधित कोई भी आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है।
पीएम केयर्स फंड की गाइडलाइन के मुताबिक अध्यक्ष और तीन अन्य ट्रस्टी के अलावा अध्यक्ष को तीन और ट्रस्टी को नॉमिनेट करना होता है। 28 मार्च से अब तक में कोई नियुक्ति नहीं की गई है। याची वाधमरे ने हाईकोर्ट से ये निर्देश देने की मांग की है कि इस ट्रस्ट में विपक्षी दलों के कम से कम दो लोगों की नियुक्ति की जाए ताकि फंड की पारदर्शिता बनी रहे।
इसके अलावा याची ने किसी स्वतंत्र ऑडिटर के बजाय पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग से कराने की मांग की है।
Covid-19 : उत्तराखंड सरकार का फैसला, देश के 75 शहरों से आने पर 21 दिन का quarantine दूसरी तरफ केंद्र सरकार पीएम केयर्स फंड को लेकर उच्च स्तर की गोपनीयता बरत रही है। सूचना अधिकार ( आरटीआई ) आवेदनों को इस आधार पर खारिज कर दिया जा रहा है कि पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट, 2005 ( RTI Act 2005 ) के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है।
भारत सरकार ने पीएम केयर्स फंड नाम का एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ( Charitable Trust ) बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं और गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं।