हाल-फिलहाल तक ड्रोन का इस्तेमाल नक्सली इलाकों में हथियार, विस्फोटक सामग्री तथा नशीले पदार्थों को लाने व ले जाने में किया जा रहा था परन्तु गत माह जून में देश में प्रथम बार ड्रोन का उपयोग जम्मू एयरपोर्ट पर एयरफोर्स बेस पर हमले में किया गया। इसके बाद कई दिनों तक लगातार ड्रोन के जरिए भारतीय सीमा में घुसने की भी कोशिशें की गई जिसे सीमा सुरक्षा बल तथा सेना के जवानों ने विफल कर दिया।
इसके अलावा भी भारत की नेपाल और चीन से लगती सीमा पर ड्रोन देखे जाने की खबरें हैं। सूत्रों के अनुसार नेपाल सीमा पर पिछले कुछ समय से बढ़ती संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए सेना अलर्ट मोड पर है।
जम्मू अटैक के बाद सिक्योरिटी एजेंसियां देश की सुरक्षा रणनीति में तुरंत बदलाव करने में जुट गई हैं। बदले हुए माहौल में अब बीएसएफ, आईटीबीपी तथा एसएसबी के जवानों को ड्रोन एक्टिविटीज को पकड़ने तथा उन्हें विफल करने की तकनीक तथा प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत अनुभव की जा रही है। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में इजरायल से एंटी-ड्रोन तकनीक खरीदने पर भी बात चल रही है। इसके अलावा डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई स्वदेशी तकनीक, जिसका उपयोग अभी लाल किले पर सुरक्षा इंतजाम बनाए रखने में किया जा रहा है, को भी सेना के काम में लिए जाने पर विचार चल रहा है।