दरअसल फांसी की तारीख से ठीक 1 दिन पहले ( अगल 22 जनवरी को फांसी होती है तो 21 जनवरी को ) जेल अधिकारी, डाक्टरों की टीम, एसडीमए फांसी घर का मुआयना करेंगे। डॉक्टरों की टीम जल्लाद को हिदायत देगी कि दोषियों की लंबाई के हिसाब से रस्सी की लंबाई रखे।
जेल सूत्रों की मानें तो फांसी को लेकर एक ट्रायल भी हो सकता है। क्योंकि फांसी के दौरान दोषी की गर्दन में झटका ना लगे, इसके लिए फंदा लगाने के बाद शरीर को कुंए में धीरे-धीरे छोड़ा जाएगा।
अफजल को दी गई आखिरी फांसी
तिहाड़ में आखिरी बार फांसी पर अफजल गुरु लटकाया गया था। खास बात यह है कि उसका भी पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ ता। जेल में दफनाया
आपको बता दें कि अफजल गुरु को फांसी के बाद जेल में ही दफना दिया गया था। वहीं अफजल गुरु से पहले रंगा-बिल्ला, सतवंत सिंह सहित जितने भी दोषियों को फांसी दी गई है, उनके पोस्टमार्टम नहीं कराए गए थे. हालांकि, अब नए जेल नियम के मुताबिक दोषियों का पोस्टमार्टम कराना होगा।