कर्मचारियों की हड़ताल का असर ऐसा दिखा कि समूचे पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में सारी रात बिजली की आपूर्ति नहीं हो सकी। सिर्फ वीआईपी की बात करें तो ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, डिप्टी सीएम समेत 36 मंत्री और 150 विधायकों के घर बिजली गुल रही।
लेह-लद्दाख में भूकंप के झटकों से थर्राई धरती, जानें कितनी मापी गई तीव्रता बिजली कर्मचारियों के काम बहिष्कार का असर उत्तर प्रदेश कई हिस्सों में व्यापक रूप से देखने को मिला। आम जनता से लेकर वीआईपी तक बिलजी कर्मियों की हड़ताल से परेशान दिखे। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा सहित तीन दर्जन से ज्यादा मंत्रियों और करीब 150 विधायक, विधान परिषद सदस्यों के सरकारी आवास समेत राजधानी की बिजली सप्लाई ठप हो गई।
वीआईपी इलाकों में पावर कट के बाद कॉरपोरेशन प्रबंधन से लेकर शासन स्तर तक हड़कंप मच गया, लेकिन बिजली अभियंताओं ने विद्युत आपूर्ति बहाल करने से मना कर दिया। करीब दो घंटे तक कड़ी मशक्कत करने के बाद वैकल्पिक स्त्रोत के जरिए बिजली सप्लाई शुरू की गई।
लखनऊ से लेकर नोएडा और मेरठ से लेकर वाराणसी तक तमाम जिलों में 10 से 16 घंटे तक हुई बिजली कटौती ने लोगों के सामने पीने के पानी तक का संकट खड़ा कर दिया। प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी जैसे सूबे के बड़े शहरों के तमाम पावर स्टेशन ठप हो गए। इसके अलावा पूर्वांचल के जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, बलिया, चंदौली समेत कई जिलों में भी बिजली आपूर्ति नहीं होने से लाखों लोग बेहाल हो गए।
सर्दियों को मौसम विभाग ने जारी किया बड़ा अलर्ट, जानें इस बार कब और कितने दिन तक पड़ेगी ठंड पावर कट के चलते तमाम विद्युत उपकेंद्रों पर बिजली विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ लोगों का आक्रोश भी देखने को मिला। आम जनता ने इसके लिए प्रशासनिक इंतजामों को जमकर कोसा।