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अन्तरराष्ट्रीय मजदूर दिवसः आखिर भारत में क्यों मजबूर हैं मजदूर

इन कारणों से अभी भी कई लोग मजदूर दिवस के महत्व से अनभिज्ञ हैं।

May 01, 2018 / 10:44 am

Kiran Rautela

labour day
नई दिल्ली। पूरे विश्व में एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस यानी श्रमिक दिवस, जो काफी समय तक सबके लिए एक अपरिचित शब्द था। अपने हकों के लिए मजदूरों को काफी संघर्ष करना पड़ा था। पहले उनको ना तो कोई पूछता था ना ही उनके लिए कोई कानून बनें थे। लेकिन 1 मई 1886 को अमरीका में मजदूर दिवस की शुरुआत हुई और मजदूरों के मन में उम्मीद की एक नई किरण ने जन्म लिया। 1 मई 1886 से मजदूरों ने अपने महत्व को समझा और अपने लिए कई निर्णय लिए। अमरीका के मजदूर संघों ने मिलकर निश्‍चय किया कि वे 8 घंटे से ज्‍यादा काम नहीं करेंगे। उससे पहले ये मजदूर 10-16 घंटे तक काम किया करते थे और उनरी सुध लेने वाला कोई नहीं था।
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1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस

इसके लिए भी मजदूरों को हड़ताल का सहारा लेना पड़ा था। हड़ताल के दौरान जब पुलिस ने मजदूरों पर गोली चलाई तो कई मजदूरों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से ही 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ये बात रखी गई गई कि हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा। साथ ही ये ऐलान भी किया गया कि एक मई को सभी मजदूरों का अवकाश होगा।
भारत में 1 मई 1923 से हुई शुरुआत

वहीं अगर भारत कि बात करें तो यहां मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्‍तान ने 1 मई 1923 की थी।

उसके बाद से लोगों में धीरे-धीरे इसके बारे में जागरूकता आई। सरकार ने भी मजदूरों के हितों को ध्यान में रखकर समय-समय पर कई बदलाव किए और कई कानून भी बनाए। केंद्र सरकार ने 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना नरेगा लागू किया जिसका नाम बाद में बदलकर महात्मा गांधी के नाम से जोड़ा गया। इस योजना में प्रत्येक मजदूर को एक दिन में 177 रुपए मजदूरी देने की बात कही है। इसके अलावा भी ऐसे ही कई कानून मजदूरों के लिए बनाए गए।
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मजदूर दिवस के महत्व से हैं अनभिज्ञ

हालांकि इस दिन अंतरराष्‍ट्रीय श्रमिक संगठन मजदूरों को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन करवाती है। लेकिन फिर भी आज हम देखते हैं कि हमारे समाज में और लोगों के बीच इस दिन का खास महत्व नहीं है। अभी भी कई लोग मजदूर दिवस के महत्व से अनभिज्ञ हैं।
इन कारणों से अनभिज्ञ हैं लोग

इसके जो मुख्य कारण सामने आए हैं, वो हैं लोगों के बीच जागरूकता की कमी होना। लोगों को बाकी दिनों की भांति ही इस महत्वपूर्ण दिन के बारे में बताना जरूरी है। जिसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं। दूसरा मुख्य कारण मजबूत श्रमिक संगठनों का अभाव है। मजबूत श्रमिक संगठनों के अभाव से देश में मजदूरों की ऐसी स्थिति बनी हुई है।
यहीं नहीं, सरकार द्वारा चलाए गए की कानूनों के बारे में हमारे मजदूर नहीं जानते हैं। इससे एक तो वो अपने अघिकारों से वंचित रह जाते हैं दूसरा मालिक वर्ग के लोग उनका शोषण भी करते हैं।
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हमारा देश एक कृषि-प्रधान देश है और यहां पर मजदूरों के संख्या भी अपेक्षा से अधिक है। ऐसे में लोगों को खून-पसीना बहाने वाले मजदूरों और काम की तलाश में दर-दर भटकने वाले श्रमिकों के अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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