मजदूर दिवस के एक दिन पहले ही ठगे गए मजदूर, जानिए क्या है मामला 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस इसके लिए भी मजदूरों को हड़ताल का सहारा लेना पड़ा था। हड़ताल के दौरान जब पुलिस ने मजदूरों पर गोली चलाई तो कई मजदूरों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से ही 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ये बात रखी गई गई कि हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा। साथ ही ये ऐलान भी किया गया कि एक मई को सभी मजदूरों का अवकाश होगा।
भारत में 1 मई 1923 से हुई शुरुआत वहीं अगर भारत कि बात करें तो यहां मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 की थी। उसके बाद से लोगों में धीरे-धीरे इसके बारे में जागरूकता आई। सरकार ने भी मजदूरों के हितों को
ध्यान में रखकर समय-समय पर कई बदलाव किए और कई कानून भी बनाए। केंद्र सरकार ने 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार गारंटी योजना नरेगा लागू किया जिसका नाम बाद में बदलकर महात्मा गांधी के नाम से जोड़ा गया। इस योजना में प्रत्येक मजदूर को एक दिन में 177 रुपए मजदूरी देने की बात कही है। इसके अलावा भी ऐसे ही कई कानून मजदूरों के लिए बनाए गए।
Labour Day 2018: गूगल ने Doodle बनाकर मजदूरों को किया सलाम मजदूर दिवस के महत्व से हैं अनभिज्ञ हालांकि इस दिन अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन मजदूरों को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन करवाती है। लेकिन फिर भी आज हम देखते हैं कि हमारे समाज में और लोगों के बीच इस दिन का खास महत्व नहीं है। अभी भी कई लोग मजदूर दिवस के महत्व से अनभिज्ञ हैं।
इन कारणों से अनभिज्ञ हैं लोग इसके जो मुख्य कारण सामने आए हैं, वो हैं लोगों के बीच जागरूकता की कमी होना। लोगों को बाकी दिनों की भांति ही इस महत्वपूर्ण दिन के बारे में बताना जरूरी है। जिसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं। दूसरा मुख्य कारण मजबूत श्रमिक संगठनों का अभाव है। मजबूत श्रमिक संगठनों के अभाव से देश में मजदूरों की ऐसी स्थिति बनी हुई है।
यहीं नहीं, सरकार द्वारा चलाए गए की कानूनों के बारे में हमारे मजदूर नहीं जानते हैं। इससे एक तो वो अपने अघिकारों से वंचित रह जाते हैं दूसरा मालिक वर्ग के लोग उनका शोषण भी करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मजूदर दिवस: जानिए आप के काम के 5 कानून हमारा देश एक कृषि-प्रधान देश है और यहां पर मजदूरों के संख्या भी अपेक्षा से अधिक है। ऐसे में लोगों को खून-पसीना बहाने वाले मजदूरों और काम की तलाश में दर-दर भटकने वाले श्रमिकों के अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।