राज्यसभा में गरजे अमित शाह, पांच साल दे दो कश्मीर बदल देंगे
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग
राज्यसभा में बोल रहे गृहमंत्री अमित शाह
जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला
राष्ट्रपति ने धारा 35A को समाप्त करने को भी मंजूरी दी
विमानों से 8000 सीआरपीएफ जवान भेजे गए
भारतीय सेना और वायुसेना हाई अलर्ट पर
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल सोमवार को राज्यसभा में पास हो गया। इसके बाद मंगलवार तक के लिए राज्यसभा स्थगित कर दी गई। इस बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विरोध में 61 सदस्यों ने वोटिंग की। वोटिंग से पहले धारा-370 को लेकर उठे सवालों पर गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च सदन में जवाब दिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का स्वर्ग था, है और हमेशा रहेगा। पांच साल में कश्मीर की तस्वीर बदल देंगे।
दरअसल, सोमवार सुबह जम्मू- कश्मीर ( jammu kashmir ) को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया। मोदी सरकार ने अपने फैसले से सभी को चौंकाते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर दिया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया। राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने धारा 370 को हटाने का संकल्प पेश किया। अमित शाह के संकल्प पेश करते ही राज्यसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। बता दें कि रविवार की आधी रात से ही जम्मू कश्मीर में धारा 144 लागू है। पूरे राज्य में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
जबकि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर राज्यसभा में मत लेने की प्रक्रिया उस वक्त शुरू की गई जब विपक्षी दलों की ओर से इस पर वोटिंग की मांग की गई। लॉबी खाली कराने के बाद पहले बटन से वोटिंग की कोशिश की गई लेकिन तकनीकी खराबी के चलते पर्चियों के जरिए वोटिंग प्रक्रिया पूरी की गई। सभापति वेंकैया नायडू ने परिणामों की घोषणा की।
राज्यसभा में गरजते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसे फैसले लेने के लिए उचित समय की जरूरत नहीं बल्कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए होती है। उन्होंने कहा बड़े और कड़े फैसले लेने का जिगर होना चाहिए। मुझे गर्व है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में ये सब है। उन्होंने कहा कि पांच साल में हम कश्मीर बदल देंगे।
इससे पहले राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल ध्वनिमत से पारित हो गया। वहीं, कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने अमित शाह से पूछा कि आप कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश क्यों बना रहे हैं? जबकि कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना बनाने के दौरान एक साल तक 20 से ज्यादा बैठकें कीं और सहमति के फैसला लिया गया था।
इस दौरान शाह ने कहा कि कश्मीर हमेशा केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेगा। सामान्य स्थिति के बाद उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। हम कश्मीर को देश का सबसे विकसित राज्य बनाएंगे। कश्मीर को सामान्य बनाने के लिए सरकार की सहायता करें और सब मिलकर काम करें। हमारे साथ नहीं रहने वाले दलों ने भी आज इस बिल पर हमारा साथ दिया है। सदन को एकमत से इस बिल और संकल्प का समर्थन करना चाहिए।
इससे पहले सोमवार शाम गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इससे जुड़े जवाब दिए। उच्च सदन में शाह के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा समेत कई मंत्री भी बैठे रहे। शाह ने पूछा कि क्या कश्मीर के लोगों को 21वीं सदी में जीने का हक नहीं है क्या? उकसाने वालों के बच्चे लंदन और अमरीका में पढ़ रहे हैं। अपने लिए सब कर लिया लेकिन घाटी के युवाओं को पढ़ने और आगे बढ़ने नहीं देना चाहते हैं। धारा 370 के रहते कश्मीर में आतंकवाद को खत्म नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में हम घाटी के युवाओं को गले लगाना चाहते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा, सुविधा, सेहत देना चाहते है और उन्हें बाकी भारत के विकास में शामिल करना चाहते हैं। इसके लिए धारा 370 को हटाना जरूरी है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने भी इसे हटाने की बात कही थी लेकिन घिसते-घिसते भी इसे नहीं हटाया गया।
वहीं, कपिल सिब्बल के आरोप पर अमित शाह ने जवाब दिया कि सरदार पटेल ने कभी जम्मू-कश्मीर को डील नहीं किया। उन्होंने जूनागढ़ को डील किया जो बगैर धारा 370 के भारत का ही हिस्सा है। कश्मीर को पंडित नेहरू ने डील किया जो धारा 370 के साथ भारत में है।
आतंकवाद के बारे में बोलते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद जन्मा, पनपा और अब नीचे आ रहा है। धारा 370 ने ही वहां के युवाओं में अलगाववाद की भावना डाली। इसका फायदा पाकिस्तान ने उठाया। आजतक 41 हजार लोग वहां क्यों मारे गए? किसकी नीति के कारण 41 हजार लोग मारे गए? हमनें तो कोई नीति नहीं बदली और नेहरू जी जो चालू करके गए थे वही चलती रही।
उन्होंने पूछा कि राजस्थान और गुजरात का युवा क्यों गुमराह नहीं होता? सिर्फ कश्मीर का ही युवा क्यों होता है? क्योंकि वहां धारा 370 से पड़ा अलगाववाद का बीज नहीं है। हुर्रियत, घुसपैठियों और ISI ने कश्मीर के युवाओं को गुमराह किया है, तभी इतने सारे लोगों की जान गई है।
अमित शाह ने यह भी पूछा कि जम्मू-कश्मीर की बच्ची ने ओडिशा वाले से शादी कर ली तो क्या उसे और उसके बच्चों को वहां कोई अधिकार मिलने वाला है? खुला होने पर जम्मू-कश्मीर साफ अर्थों में हिन्दुस्तान के साथ ही मिल जाएगा। वहां ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलता। दलितों-आदिवासियों को राजनीतिक आरक्षण नहीं मिलता है। इसी वजह से मायावती जी की पार्टी ने इस बिल का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियां एनजीओ ब्रिगेड से इस बिल को अदालत में चुनौती देंगी, लेकिन किसी भी लीगल जांच से इस बिल को कुछ नहीं होने वाला। अमित शाह ने कहा कि धारा जो लोग 370 की वकालत करते हैं वे बताएं कि जम्मू-कश्मीर के बच्चों को शिक्षा का अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए। उन्हें संविधान संशोधन करने के बाद भी वहां के बच्चों को RTE (शिक्षा का अधिकार) का लाभ नहीं मिला। कल जब लोकसभा इसे पास करेगी तो कल रात से हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिलेगा।
वहां निजी संस्थान नहीं हैं। कौन निवेश करेगा? क्योंकि उसके नाम पर संपत्ति तो हो ही नहीं सकती है। शाह ने बताया कि हम राष्ट्रहित का बिल लेकर आए थे। आप तो इंदिरा जी को इलाहाबाद कोर्ट के फैसले से बचाने का संवैधानिक सुधार तो उसी दिन लेकर आए और पारित कराया था। आप हमें उपदेश देते हैं कि सुबह ही क्यों बिल लेकर आए। धारा 370 हटाने से घाटी का भला होने वाला है और सही अर्थों में जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बनने वाला है।
गृह मंत्री ने बताया कि पूरी दुनिया कश्मीर और लद्दाख को स्वर्ग मानती है, लेकिन यहां पर जितना पर्यटन बढ़ना चाहिए था उतना नहीं बढ़ा। वहां अच्छा होटल जमीन नहीं खरीद सकता। इसके चलते धारा 370 ने पर्यटन की संभावनाओं को सीमित कर दिया। इससे न सिर्फ पर्यटन बढ़ेगा बल्कि घाटी के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
उन्होंने बताया कि धारा 370 से घाटी के युवाओं का कोई भला नहीं होना वाला है। इससे सिर्फ कुछ नेताओं का भला होगा। बिजली मिले, शौचालय मिले, ज्यादा सैलरी मिले तो इसे चालू रखना चाहिए। इससे कुछ भी फायदा नहीं होने वाला है। वहां स्वास्थ्य की हालत खस्ता हो चुकी है। पीपीपी और प्राइवेट योजनाएं वहां लागू नहीं होती हैं।
अमित शाह ने कहा कि आज तक धारा 370 के चलते कई संविधान संशोधन जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं हो सके। आलम यह है कि वहां पर पंचायत या नगर पालिका के चुनाव नहीं होते हैं। 70 वर्षो तक 40 हजार सरपंचों के अधिकार छीने गए, कौन इसके लिए जिम्मेदार है।
शाह ने कहा कि यह अधिकार कभी नहीं मिला, इस पर कोई नहीं बोलेगा। क्या घाटी में केवल मुसलमान ही रहते हैं, अगर धारा 370 अच्छी है तो सभी के लिए है और बुरी है तो भी सभी के लिए है। तीन परिवारों ने जम्मू और कश्मीर में अब तक लोकतंत्र को पनपने नहीं दिया। हालांकि राष्ट्रपति शासन में घाटी में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हुए। पंचायत चुनाव के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ और वहां की जनता भी लोकतंत्र चाहती है।
गृह मंत्री ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो पाकिस्तान के शरणार्थी गए उन्हें आज तक नागरिकता नहीं मिल पाई है और देश को अब तक दो प्रधानमंत्री पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने ही दिए हैं- मनमोहन सिंह और गुजराल जी। धारा 370 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लोकतंत्र मजबूत नहीं हो पाया और भ्रष्टाचार बढ़ता चला गया।
उन्होंने आगे कहा कि आलम यह है कि घाटी के गांवों के ग्रामीण आज भी गरीबी में जीने को मजूबर हैं क्योंकि वहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं इसी धारा 370 की के चलते नहीं मिल पाईं। इतना ही नहीं महिला विरोध, दलित विरोध और आतंकवाद की जड़ भी यही धारा 370 है।
अमित शाह ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि मैं एक ऐतिहासिक संकल्प और बिल लेकर आया हूं जिस पर कई सदस्यों ने शंकाएं जताई हैं. जम्मू-कश्मीर में लंबे रक्तपात का अंत धारा 370 को खत्म करने से होगा। शाह ने कहा कि आज मैं हमारे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करना चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि घाटी में 41,800 लोगों ने जान गंवाई हैं। अगर धारा 370 न होती तो इन लोगों की जान न जाती। ज्यादतर पर बातें तकनीक पर हुईं जबकि धारा 360 की उपयोगिता पर कोई बात नहीं हुई। इससे क्या हासिल होने वाला है इस पर कोई बात नहीं हुई, जिसकी वजह से घाटी, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के लोगों का नुकसान हुआ है।
जम्मू-कश्मीर अपडेट्स:-– अमित शाह दे रहे हैं धारा 370 के संबंध में जवाब– राज्यसभा में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पहुंचे– सरकार के साहस पूर्ण कदम का स्वागत- संघ प्रमुख
– वोट लेने के लिए कश्मीर को बांटा गया- आजाद– अनुच्छेद 370 पर ये बिल ऐतिहासिक है-कश्मीर को तीन परिवारों ने लूटा– जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन 2019 पर विचार हो
– हमें वोट बैंक की चिंता नहीं-बीजेपी के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी नहीं- अमित शाह-कई राज्यों के मुख्यमंत्री से बात करेंगे पीएम मोदी-इसके विनाशकारी परिणाम होंगे- महबूबा मुफ्ती
-अनुच्छेद 370 हटाने पर AIADMK , AAP, BSP, YSR, BJD का समर्थन– एनडीए के घटक दल जदयू ने किया विरोध-7 अगस्त को पीएम मोदी देश को संबोधित करेंगे-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 370 में बदलाव की मंजूरी दी
-जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा-लद्दाख को भी केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा-धारा 370 का सिर्फ एक खंड रहेगा-जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग किया गया
-राष्ट्रपति ने धारा 35 ए को समाप्त करने को भी मंजूरी दी-राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह जवाब दे रहे हैं– कश्मीर से धारा 370 हटाने की सिफारिश– पीएम मोदी संसद भवन पहुंच गए हैं
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-जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश– विपक्षी दल संसद में कश्मीर मुद्दा उठाएंगे– कश्मीर में मोबाइल, इंटरनेट सेवा ठप– पीएम आवास पर आपत बैठक– बीजेपी सांसदों के लिए 7 अगस्त तक व्हिप जारी
-नजरबंद होने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोग शांति के साथ रहें और ईश्वर आप सभी के साथ हैं।-राज्यपाल सत्यपाल मालिक के आवास पर आपात बैठक हुई, डीजीपी समेत सभी बड़े अधिकारी हैं मौजूद
-कमीर घाटी से कमीरी पंडित आनन-फानन में टेक्सी और निजी वाहनों से आधी रात को जम्मू की तरफ रवाना हो रहे हैं।-कश्मीर यूनिवर्सिटी की 5 अगस्त से 10 अगस्त के बीच शुरू होने वाली परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया गया
मोबाइल इंटरनेट सेवा ठप
हालात को देखते हुए राज्य में धारा 144 लगा दी गई है। मोबाइल इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है। वहीं स्कूल कॉलेजों को भी अगामी आदेश तक बंद करने का आदेश जारी किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को श्रीनगर में नजरबंद कर दिया गया है। कश्मीर मामले को लेकर मोदी कैबिनेट की बैठक हुई है। उससे पहले CCS की बैठक हुई ।
वहीं कश्मीर से पर्यटकों के लौटने का सिलसिला जारी है। लगातार लोग वहां से बाहर निकल रहे हैं। हालांकि आवागमन के साधनों की कमी से यात्रियों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा । सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है। जम्मू इलाके में CRPF की 40 कंपनियां तैनात है। प्रशासन ने लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने की भी हिदायत दी है।
भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती
सूत्रों के मुताबिक 6,000 से अधिक पर्यटक कश्मीर छोड़ चुके हैं। पर्यटकों को छोड़ने से पर्यटन क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचा है। श्रीनगर की हर सड़कों पर पैरामैलेट्री फोर्सेज को लगाया गया है। प्रशासन ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वो किसी तरह से नहीं घबराए। सबकुछ सामान्य है।