वैसे, विशेषज्ञ अभी इसको लेकर स्पष्ट नहीं हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आएगी या नहीं और यदि आएगी तो कितनी खतरनाक होगी। कुछ विशेषज्ञ यह भी दावा कर रहे हैं कि अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इसके खतरे को कम किया जा सकता है।
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बीते कुछ हफ्तों में विशेषज्ञ कई बार तीसरी लहर के आने और इसके पहले से भी ज्यादा खतरनाक होने की आशंका जता चुके हैं। हालांकि, विशेषज्ञ अब तक की महामारी के आधार पर अनुमान लगा रहे हैं कि एक लहर से दूसरी लहर के बीच करीब पांच महीनों का अंतर देखने को मिला है। ऐसे में भारत में फिलहाल दूसरी लहर जारी है। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि नवंबर या दिसंबर के आसपास तीसरी लहर का सामना भारत को करना पड़ सकता है।
बहरहाल, महामारी के दौरान लहर को लेकर कोई स्पष्ट आकलन नहीं किया जा सका है, मगर किसी महामारी के दौरान एक विशेष अंतराल या समय में संक्रमण के कम या ज्यादा होने को ग्रॉफ में लहर के तौर पर लिया जाता है। यही बढ़ोतरी लहर की तरह दिखती है। विशेषज्ञों की मानें तो महामारी वर्षों में आती है, मगर संक्रमण हर साल खास मौसम में हमला कर सकता हे। तब भी इन्हें समझाने के लिए लहर का प्रयोग होता है। संक्रमण की यह लहर अचानक आती है, तेजी से बढ़ती है और फिर गायब हो जाती है। एक निश्चित समय के बाद यह फिर से सक्र्रिय होती है और यही लहर है।
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देखा जाए तो कोरोना संक्रमण के मामले में भी लगातार लहर का इस्तेमाल विशेषज्ञ कर रहे हैं। यह महामारी बीते करीब डेढ़ साल से लगातार दुनियाभर में लोगों को अपना निशाना बना रही है। वैसे, भौगोलिक स्थिति के आधार पर इसकी तीव्रता अलग तरह से सामने आती देखी गई है। यही वजह है कि कुछ देशों में संक्रमण का ग्रॉफ इन दिनों हल्का और नीचे है, तो कुछ देशों में यह काफी खतरनाक स्थिति में लगातार ऊपर की ओर जा रहा है। उदाहरण के तौर पर भारत में इन दिनों ग्रॉफ ऊपर जा रहा है, जबकि यूरोपिय देशों में ग्रॉफ नीचे की ओर जाता दिख रहा है।
हालांकि, दुनियाभर में ही नहीं बल्कि, देश में भी लहर और महामारी की तीव्रता का ग्रॉफ अलग-अलग जाता दिख रहा है। कुछ राज्यों में संक्रमण की दर काफी ज्यादा है तो कुछ राज्यों में यह काफी कम दिखाई दे रही है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि किसी देश या राज्य में अगर कभी संक्रमण की दर ज्यादा है तो वहां हमेशा यह लहर रहेगी। लगभग यही अनुमान हल्के संक्रमण वाले देश और राज्यों पर भी लागू होता है।
वैसे तो अभी सभी दावा कर रहे हैं कि दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर भी आएगी, मगर यह कब तक आएगी और कितनी खतरनाक होगी, यह स्पष्ट नहीं बताया जा रहा। वहीं, कुछ विशेषज्ञ यह भी दावा कर रहे हैं कि जरूरी नहीं कि तीसरी लहर आए ही। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लोग बचाव के तरीके अपनाएं और उनका सख्ती से गंभीरतापूर्वक पालन करें, तब संभव है कि तीसरी लहर को रोका जा सकता है या फिर इसकी अवधि और तीव्रता को कम किया जा सकता है।