सुबह आठ बजे : इंदिरा के निजी सचिव आरके धवन उनके आवास पर पहुंच गए। इंदिरा ने उस दिन हर रोज की तुलना में कम नाश्ता किया। उन्होंने दो टोस्ट, सीरियल्स, अंडे और संतरे का ताजा जूस लिया। नाश्ते के बाद वह हल्का मेकअप ले रही थीं, तभी रुटीन चेकअप के लिए उनके डॉक्टर केपी माथुर भी पहुंच गए।
सुबह नौ बजकर 10 मिनट: बाहर मौसम खुशनुमा था क्योंकि हल्की ठंड की वजह से धूप सुहानी लग रही थी। इंदिरा जब बरामदे से लॉन की ओर बढ़ीं को सिपाही नारायण सिंह छाता लिए हुए उनके साथ चल रहे थे। उनसे थोड़ी दूरी पर आरके धवन और सबसे पीछे चल रहे थे उनके निजी सुरक्षा अधिकारी सब इंस्पेक्टर रामेश्वर दयाल। अकबर रोड को जोड़ने वाले विकेट गेट के पास पहुंचते वक्त वो धवन से राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के यमन दौरे की बात कर रही थीं।
सुबह नौ बजकर 20 मिनट: इंदिरा गांधी की सुरक्षा में तैनात बेअंत सिंह अचानक सामने आ गया। उसने प्रधानमंत्री को नमस्ते किया। इंदिरा ने नमस्ते का जवाब दिया ही था कि उसने अपनी रिवॉल्वर निकाल कर इंदिरा गांधी की पेट में गोली मार दी। वह बचने की कोशिश करना चाहती थीं, लेकिन बेअंत तो पूरी तैयारी के साथ आया था। उसने प्वॉइंट ब्लैंक रेंज से दो और गोली इंदिरा गांधी को मारी। मौके पर मौजूद लोगों को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है।
सुबह नौ बजकर 32 मिनट: सायरन की आवाज के साथ एक सफेद एंबेसडर कार सीधे एम्स के इमरजेंसी वार्ड के गेट पर पहुंची। वार्ड का गेट खोलने और इंदिरा को कार से उतारने में तीन मिनट और लग गए। दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की गेट पर उस दिन स्ट्रेचर तक नहीं था। इंदिरा की सांसे थमती जा रही थीं।
सुबह नौ बजकर 36 मिनट: एक पहिए वाले स्ट्रेचर पर देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रखकर किसी तरह अस्पताल के अंदर पहुंचाया गया। इंदिरा को लहूलूहान देखकर एम्स में तैनात डॉक्टरों के होश उड़ गए। अस्पताल के बाहर लोगों को हूजूम जमा होने लगा। तभी एक डॉक्टर ने एम्स के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट को फोन कर इसकी जानकारी दी।
एम्स के सबसे अनुभवी डॉक्टरों की फौज इंदिरा के आसपास खड़ी थी। डॉक्टर गुलेरिया को अनहोनी की आशंका हो चुकी थी। तसल्ली के लिए इंदिरा का ईसीजी किया गया। जिसमें उनके दिल में बहुत हल्की हचचल दिखी, लेकिन नब्ज लगभग थम चुकी थी। आंखों की फैली हुई पुतलियां बता रही थीं कि उनके दिमाग को बेहद नुकसान पहुंचा है। ये देख एक डॉक्टर ने इंदिरा की मुंह में ऑक्सीजन की एक नली डाल दी, ताकि दिमाग को जिंदा रखा जा सके। इस दौरान उन्हें ओ आरएच निगेटिव रक्त ग्रुप की 80 बोतल खून चढ़ा दी गई।
डॉक्टर गुलेरिया ने वॉर्ड के बाहर आकर इंदिरा गांधी के निधन की जानकारी दी और साथ ही वहां मौजूद स्वास्थ्य मंत्री शंकरानंद से पूछा कि अब क्या करना है, उन्हें मृत घोषित कर दें? लेकिन शंकरानंद ने कहा कि नहीं उनको ऑपरेशन थियेटर में ले चलो। डॉक्टरों ने बताया कि उनके लीवर का दाहिना हिस्सा छलनी हो चुका है और बड़ी आंत में बारह छेद हैं। गोली लगने से रीढ़ की की हड्डी टूट चुकी है और एक फेफड़ा भी फट गया है।
दो बजकर 23 मिनट: एम्स ने आधिकारिक रूप से देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मृत घोषित कर दिया। सरकारी रेडियो और टीवी पर इसकी जानकारी लगभग रात 8 बजे दी गई। यह खबर सुनकर सारा हिंदुस्तान सन्न रह गया और शोक की पूरे देश में लहर दौड़ गई।