दोनों प्रमुख नेताओं ने भारत-श्रीलंका के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर चर्चा की। पीएम मोदी ने संयुक्त बयान में कहा कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 2865 करोड़ रुपए (400 मिलियन डॉलर) के कर्ज की सुविधा (लाइन ऑफ क्रेडिट) दी जाएगी। इसके अलावा सोलर परियोजना पर खर्च करने लिए 716 करोड़ रुपए (100 मिलियन डॉलर) का कर्ज दिए जाएंगे।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने व गरीबों के लिए मकान आदि बनाने का पहले से ही कर रहा है। भारतीय आवास परियोजना के तहत श्रीलंका में अब तक 46 हजार मकान बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा तमिल मूल के लोगों के लिए 14 हजार घरों का निर्माण किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा ‘मुझे उम्मीद है कि श्रीलंका की नई सरकार (राष्ट्रपति गौतबाया राजपक्षे की सरकार) तमिलों की समानता, न्याय और सम्मान की दिशा में काम करेगी।’
आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे लड़ाई: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त बयान में कहा कि श्रीलंका की जनता ने गौतबाया राजपक्षे को भारी बहुमत से चुना है, जो यह दर्शाता है कि आम नागरिक अक मजबूत श्रीलंका को देखना चाहते हैं।
श्रीलंका का मजबूत होना न सिर्फ वहां के लोगों के हित में है बल्कि भारत समेत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए अहम है। भारत-श्रीलंका के बीच दशकों से मजबूत संबंध रहे हैं और भारत ‘नेवरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत श्रीलंका को अपने संबंधों में प्राथमिकता पर रखता हैं।
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पीएम ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत-श्रीलंका मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारत श्रीलंका को आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए 358 करोड़ रुपए (50 मिलियन डॉलर) की मदद देगा। पीएम मोदी ने कहा, ‘प्रमुख भारतीय संस्थानों में श्रीलंका के पुलिस अधिकारी काउंटर टेरर ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं।’
राजपक्षे ने की भारतीय मछुआरों को छोड़ने की घोषणा
राष्ट्रपति गौतबाया राजपक्षे ने संयुक्त बयान में घोषणा करते हुए कहा कि बहुत जल्द ही भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की जेल से रिहा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपने हिरासत में रखे गए भारतीय मछुआरों और उनकी नौकाओं का जल्द छोड़ने का काम करेंगे।
राजपक्षे ने आगे कहा ‘राष्ट्रपति के रूप में मैं अपने कार्यकाल के दौरान श्रीलंका और भारत के संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाना चाहता हूं। दोनों देशों में लंबे समय से मित्रता है। हमें अपने लोगों के आर्थिक विकास और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।’
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मालूम हो कि गौतबाया चीन के समर्थक माने जाते हैं। हालांकि, उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि चीन को हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लीज पर दिया जाना पूर्ववर्ती सरकार की गलती थी। इस समझौते पर फिर से बातचीत चल रही है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को तीन दिनों के भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे गौतबाया राजपक्षे का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। उन्होंने पीएम मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इसके बाद राजघाट पर महात्मा गांधी के स्मारक पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।