Pangong Tso मामले को लेकर पहली बार भारत-चीन के ब्रिगेडियर्स के बीच हो रही इस तरह की सैन्य वार्ता 6वें दौर की वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के बाद मंगलवार शाम को भारत-चीन का संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। इसके मुताबिक 21 सितंबर को भारतीय और चीनी वरिष्ठ कमांडरों ने सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक का 6वां दौर आयोजित किया। इस बैठक में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ हालात स्थिर करने पर उनके स्पष्ट और गहन विचार-विमर्श हुए।
बयान में आगे बताया गया कि दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक के 7वें दौर को आयोजित करने, जमीन पर समस्याओं को ठीक से हल करने के लिए व्यावहारिक उपाय अपनाने और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने पर सहमति व्यक्त की।
भारत और चीन द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि वे नेताओं द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए फैसलों को लागू करने, जमीन पर संचार को मजबूत करने, गलतफहमी से बचने, मोर्चे पर अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने, जमीन पर एकतरफा बदलती स्थिति से बचने और हालात को जटिल बना सकने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए तैयार हुए।
सीमा विवाद के बीच LAC पर फायरिंग, बौखलाए चीन ने लगाया भारतीय सेना पर उकसाने का आरोप गौरतलब है कि बीते अगस्त में भारतीय सैनिकों द्वारा जमीन कब्जाने के चीनी सेना के मंसूबों को विफल करने के लिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर पहुंच स्थापित कर ली गई थी, जिसके बाद पीएलए के जवानों ने उकसावे वाली कार्रवाई की। 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो झील इलाके में भारतीय सेना से मुंह की खाने की बाद से चीन बिलबिला रहा है और भारत से आग्रह किया था कि वह तनाव कम करने के लिए अपनी सेना को तुरंत कम करे।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर दोनों देशों की सेनाएं करीब पांच महीने से आमने-सामने हैं और गतिरोध खत्म नहीं हो पाया है।जबकि बीते 15 जून को गलवान घाटी में हुई ऐतिहासिक हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन ने सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि तो की, हालांकि अभी तक संख्या का खुलासा नहीं किया है।