केंद्र सरकार की ओर से अनलॉक प्रक्रिया को लेकर जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक, कम से कम एक हफ्ते तक किसी शहर का पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत या इससे कम होना चाहिए। इसके अलावा उस शहर की कुल आबादी का करीब 70 प्रतिशत लोगों का वैक्सीनेशन भी होने के बाद ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि जिन शहरों को अनलॉक किया जाएगा, वहां के लोगों को इस बार सख्ती से कोरोना महामारी को लेकर बनाए गए सभी नियमों का पालन करना होगा, क्योंकि इस बार लापरवाही की तो तीसरी लहर और ज्यादा खतरनाक होगी। विशेषज्ञ इस बात की आशंका पहले ही जता चुके हैं कि तीसरी लहर में बच्चे और युवाओं पर खतरा अधिक है। सरकार ने यह बता दिया है कि पांबदियों में छूट उन्हीं शहरों को मिलेगी, जहां अनलॉक को लेकर बनाए गए मानक पूरे होंगे।
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टीकाकरण अभियान तेज करना होगावहीं, आईसीएमआर के महानिदेशक और भारत में कोरोना महामारी रोकथाम को लेकर बनी टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. बलराम भार्गव ने इस बात पर भी जोर दिया है कि प्रतिबंधों में धीरे-धीरे छूट दी जाएगी, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण के नए मामलों में तेजी नहीं आएगी। इसके लिए सभी जिलों में जिम्मेदार अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वहां टीकाकरण अभियान में तेजी लाई जाए। उन्होंने यह भी बताया कि तीसरी लहर को रोकने या उसकी तीव्रता को कम करने के लिए पॉजिटिविटी रेट पांच प्रतिशत से कम रखनी होगी और इस मानक को पूरे करने वाले शहरों में ही पहले धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। पॉजिटिविटी रेट का यह आंकड़ा कम से कम एक हफ्ते तक जरूर होना चाहिए। हालांकि, अभी तक देशभर में 344 जिले ऐसे हैं, जहां की संक्रमण दर पांच प्रतिशत या इससे कम है।
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क्या खत्म हो रही दूसरी लहर…डॉक्टर भार्गव की मानें तो देश इस समय कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर के बीच में है और अब यह धीरे-धीरे खत्म हो रही है। अगर आंकड़ों में समझें तो अप्रैल के पहले हफ्ते में भारत में 200 से भी कम जिले थे, जहां 10 प्रतिशत से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट थी। वहीं, अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक 600 जिलों में 10 प्रतिशत का आंकड़ा पहुंच चुका था। आज की स्थिति में 239 जिले ऐसे हैं, जहां पॉजिटिविटी रेट दस प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा, 145 जिलों में 5 प्रतिशत से दस प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट और करीब 350 जिलों में पांच प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी रेट है।