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97 हजार से ज्यादा छात्रों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए किया था आवेदन
आरटीआइ में खुलासा हुआ है कि 97,313 आवेदकों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था, जो कि वर्तमान इतिहास में विद्यार्थियों का सबसे बड़ा समूह है। बीते तीन वर्ष में लगभग 73 हजार छात्रों अर्थात हर तीन में से एक छात्र को गलत तरीके से फेल किया गया है। बता दें कि यह तथ्य सामने आने के बाद से विद्यार्थियों में विश्वविद्यालय के मूल्यांकन प्रक्रिया पर विश्वास कम हुआ है। आरटीआइ में यह भी खुलासा हुआ है कि जब समर सेशन में परीक्षा कराई गई थी तब 49, 596 विद्यार्थियों ने 85, 068 उत्तर पुस्तिकाओं में अपने मार्क्स को लेकर शंका जाहिर की थी और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था। पुनर्मूल्यांकन के बाद इनमें से 16,739 को पास किया गया। इसके बाद 2017 के अर्धबार्षिक परीक्षा में 47,717 बच्चों ने 76,086 कॉपी मूल्यांकन के लिए आवेदन किए। इनमें से 18,254 ने उत्तरपुस्तिका के मूल्यांकन के बाद परीक्षा पास की।
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2016 में लगभग 45 हजार छात्रों ने किया था आवेदन
आपको बता दें कि 2016 में 44,441 आवेदकों ने पुनर्मूल्यांन के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 16,934 ने परीक्षा पास कर ली। ठीक इसी तरह से 2014 में 80 हजार विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था। ये सभी तथ्य आरटीआइ में खुलासा हुआ है। यह भी खुलासा हुआ है कि इससे पहले 2012 में 68,653 छात्रों ने अप्लाई किया था जिसमें से 14,586 को पुनर्मूल्यांकन के बाद पास कर दिया गया तो वहीं 2013 में 43,256 ने आवेदन दिया था जिसमें से 10,509 ने पुनर्मूल्यांकन के बाद परीक्षा पास की।