सिंध इलाके में चीनी इंजीनियर्स ही नहीं चीनी सैनिक भी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ( CPEC ) सुरक्षा के लिए लगाए हुए है। सिंध इलाके में करीब 25 साल पहले तेल-गैस व कोयले के काम के साथ चीन ने पाकिस्तान में दखल शुरू कर दिया था। चीन के इंजीनियर्स तेल कंपनियों में नियोजित होने के साथ ही तेल व कोयले का परिवहन के काम में भी लगे थे। तेल गैस परिवहन के इस कार्य के साथ ही चीन ने यहां पाकिस्तान के सामरिक कार्य ( Strategic works ) भी अपने हाथ में लेने शुरू कर दिए।
12 राज्यों के 145 जिले बन सकते हैं Corona के नए Hotspot, केंद्र से अलर्ट जारी अपनी योजना के तहत चीन ने पश्चिमी सीमा के थारपारकर इलाके में एयर स्ट्रीप का निर्माण किया है। यह एयर स्ट्रिप भारतीय सीमा से महज 90 किमी की दूरी पर बना है। इस एयर स्ट्रीप को लेकर 2015-16 में ही भारत ने ऐतराज किया लेकिन पाकिस्तान नहीं माना और वाणिज्यक गतिविधि के लिए जरूरी बताते हुए निर्माण पूर्ण कर लिया।
इसके साथ ही इसी दौर में पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा ( Western Border ) पर बंकर का निर्माण प्रांरभ किया। यह कार्य भी चीन की कंपनियों को दिया गया। चीन की ओर से बने इन बंकर को सामरिक दृष्टि से खुफिया तौर पर इस्तेमाल करने की आंशका पर भी भारतीय खुफिया एजेंसियों ( Indian intelligence agencies ) की ओर से ऐतराज किया गया।
CPEC को लेकर परेशानी 2014 में शुरू हुआ सीपेक करीब 46 बिलियन डॉलर का है। ग्वादर बंदरगाह कराची तक आने वाले इस सीपेक का रास्ता पीओके ( पाक अधिकृत कश्मीर ) से है और करीब 2442 किमी लंबा यह कॉरीडोर चीन से पाकिस्तान तक होगा। इससे 19 मिलियन टन तेल चीन पहुंचेगा। इस कॉरीडोर का एक रास्ता सिंध से भी दिया जा रहा है। ऐसे में सिंध के इलाके में चीन का दखल और बढऩे की आंशका है। यह कॉरीडोर 2030 तक पूरा होना है।
Corona Expert डॉ. दीप्तेंद्र सरकार का दावा – ममता सरकार Sweden-Taiwan मॉडल पर जीतना चाहती है जंग पाकिस्तानी सीख रहे चीनी भाषा तेल-गैस-कोयला के जरिए पाकिस्तान का दखल इस कदर बढ़ा है कि पाकिस्तान के कराची के विश्वविद्यालयों में तो चीनी विषय है ही अब प्राथमिक शिक्षा में भी स्कूलों में चीनी भाषा सिखाने की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। चीनी भाषा सिखाने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि चीन से आने वाले इंजीनियर्स के साथ तालमेल बिठाने के लिए यहां के युवकों को तैयार किया जा रहा है।
ऊर्जा के लिए दे रहा चीन मदद (Pakistanis are learning Chinese language ) थारपारकर इलाके में 6600 मेगावाट के ऊर्जा प्लांट को भी चीन की मदद से ही पाकिस्तान तैयार कर रहा है। पााकिस्तान में 10 हजार 500 मेगावाट के दस प्लांट लगाए जाने है। थारपाकर व सिंध इलाके में लगने वाले प्लांट को लेकर चीन की दिलचस्पी ज्यादा बताई जा रही है।