राम के नाम पर भिड़े शिवसेना-बीजेपी कार्यकर्ता: पुलिस ने किया लाठीचार्ज, 30 के खिलाफ मामला दर्ज
तत्काल जमानत देने का आदेश
तीनों आरोपियों ने बुधवार को निचली अदालत में रिहाई के लिए अपील की थी जिस पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज उस पर सुनवाई हुई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र बेदी के कोर्ट ने कहा कि सभी जमानती दिल्ली में रहते हैं। जल्द ही उनके पते का सत्यापन निर्धारित समय में हो जाना चाहिए था। जांच अधिकारी ने समय मांगा था लेकिन कोर्ट ने ज्यादा समय देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि आरोपितों के स्थायी पतों की सत्यापन रिपोर्ट 23 जून तक हो जाना चाहिए। इसके साथ ही आरोपितों के दिल्ली के पतों की सत्यापन रिपोर्ट गुरुवार शाम पांच बजे तक जमा कराई जाए। आज न्यायाधीश रवींद्र बेदी के कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए तीनों आरोपितों को तत्काल जमानत पर छोड़ने का आदेश जारी कर दिया।
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हिंसा में 53 लोगों की हुई थी मौत
आपको बता दें कि 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी। जिसने बाद में सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था। इस हिंसा में आइबी कर्मी अंकित शर्मा, हेड कांस्टेबल रतनलाल समेत 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा 200 लोग घायल हो गए थे। इस हिंसा में तीनों मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है। इसी दंगे की साजिश के मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत देवांगना कलीता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।