अस्थाना पर रिश्वत का आरोप
न्यायाधीश नजमी वजीरी ने 20 दिसंबर 2018 को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने कहा था कि अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज करते समय सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। मीट कारोबारी कुरैशी के केस को हल्का करने के लिए अस्थाना पर पैसे लेने का आरोप है। शिकायतकर्ता सतीश बाबू सना ने आरोप लगाया था कि उसने एक मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी। सना ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, मनमानापन और गंभीर कदाचार के आरोप लगाए थे। सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई थी।
क्या है मामला
बता दें कि सीबीआई ने बीते 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। यह मामला मांस कारोबारी मोईन कुरैशी के खिलाफ कथित रूप से मामला कमजोर करने के लिए सना सतीश बाबू से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में दर्ज किया गया था। इस राशि को दो बिचौलियों मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के जरिए पहुंचाया गया था। इसके बाद मनोज प्रसाद को 17 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया था। रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) से सेवानिवृत्त प्रसाद के पिता दिनेश्वर प्रसाद ने कहा था कि प्रसाद को फर्जी तरीके से मामले में फंसाया गया है।