रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद रहे। साउथ ब्लॉक में हुई इस बैठक में सीमा पर जारी तनाव को लेकर तमाम सुरक्षा अधिकारियों के बीच चर्चा की गई।
बता दें कि यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब सीमा पर भारत-चीन के ब्रिगेड कमांडर्स स्तर के सुरक्षा अधिकारी सुबह 11 बजे से बातचीत कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला इलाके में चीनी सैनिकों की नापाक हरकत के बाद से ही सोमवार और मंगलवार को छोड़कर रोज़ाना आधार पर भारत-चीन सैनिकों के बीच बातचीत जारी है।
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सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य सीमा पर जारी तनाव को कम करने के लिए बातचीत के सभी दरवाजों को खुला रखना और रोजाना का गतिविधियों के बारे में साझा करना है।
मालूम हो कि इस हफ्ते के शुरूआत में दोनों देशों के ग्राउंड कमांडर्स स्तर के बीच हुए बातचीत के दौरान कॉर्प्स कमांडर्स स्तर की बातचीत पर सहमति बनी थी। हालांकि, अभी इसको लेकर समय और तारीख की घोषणा नहीं की गई है। बता दें कि जून से लेकर अब तक यह छठी बैठक होगी।
मॉस्को में भारत-चीन विदेश मंत्री की हुई थी मुलाकात
आपको बता दें कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों के बीच यह अहम बैठक विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुई मुलाकात के एक दिन बाद हुई है। गुरुवार को रूस की राजधानी मॉस्को में जयशंकर और वांग यी के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को हल करने को लेकर लंबी बातचीत हुई थी।
बैठक में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों के रोडमैप पर भी चर्चा हुई। गुरुवार को, दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी तनाव को कम करने के लिए पांच-बिंदु योजना पर सहमति व्यक्त की थी। पांच सूत्री योजना में सीमा के प्रबंधन पर सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना, शांति और सुरक्षा बनाए रखना और किसी भी कार्रवाई से बचना शामिल है।
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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बैठक के दौरान ‘दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने सहमति व्यक्त की कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। वे सहमत थे कि दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को अपना संवाद जारी रखना चाहिए और जल्द से जल्द तनाव कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।