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MoHFW ने जारी की एडवायजरी, Coronavirus से बचाव के लिए चश्मे का कई बार इस्तेमाल संभव

Eye protection के लिए goggle को इस्तेमाल के बाद कर देतें हैं नष्ट।
एक बार इस्तेमाल के बाद PPE Kits बायो मेडिकल वेस्ट में फेंक दी जाती है।
चश्मे को हर बार इस्तेमाल के बाद कीटाणुरहित कर छह बार पहना जा सकता है।

covid protective goggle reuse advisory

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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( MoHFW ) द्वारा जारी किए गए नवीनतम दिशानिर्देशों ( Advisory ) के अनुसार, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता ( healthcare workers ) द्वारा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण ( PPE Kits ) किट में आने वाला चश्मा कम से कम छह बार पहना जा सकता है। इस विशेष चश्मे का इस्तेमाल कोरोना वायरस मरीजों के इलाज या फिर टेस्टिंग ( COVID-19 Testing ) के लिए स्वैब सैंपल लेने के दौरान किया जाता है।
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एडवाइजरी में कहा गया है, “प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी को चश्मे जारी किए जा सकते हैं और वो हर इस्तेमाल के बाद इन्हें कीटाणुमुक्त करेंगे। चश्मे को यूजर्स द्वारा कीटाणुमुक्त किया जाएगा और कम से कम पांच बार पुन: उपयोग किया जा सकता है, जिसके चलते एक चश्मे छह दिनों के लिए पर्याप्त होगा। चश्मे से देखने की क्षमता कम होने होने तक या फिर इनके नष्ट होने तक वे इनका उचित ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं। सभी को कवर करने के लिए चश्मे जारी किए जाने का अनुपात 1:6 होना चाहिए।”
चश्मा PPE Kit का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस्तेमाल के बाद PPE Kits को मानक परिचालन प्रक्रिया ( SOP ) के अनुसार बायो-मेडिकल वेस्ट ( Bio Medical Waste ) के रूप में फेंक दिया जाता है। हालांकि मंत्रालय ने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित गुणवत्ता वाले चश्मे का पुन: उपयोग किया जा सकता है।
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एडवायजरी के मुताबिक, “इस दस्तावेज़ का उद्देश्य व्यक्तियों को उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले चश्मे का पुन: उपयोग करने के लिए सक्षम करना, और संक्रमण के जोखिम से बचने के लिए इसके फिर से इस्तेमाल की अनुमति देना है।”
देश में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) के प्रकोप के शुरुआती चरणों के दौरान पीपीई किट की तेजी से आई कमी का सामना करने के बाद फैली दहशत और जन आक्रोश के कारण, स्वास्थ्य सुरक्षा कर्मियों द्वारा इसका उचित इस्तेमाल कैसे किया जाए को लेकर मंत्रालय नियमित अंतराल पर एडवायजरी जारी करता रहा है।
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिना नाम बताए कहा, “हमें अब किसी भी कमी का सामना नहीं करना पड़ रहा है लेकिन फिलहाल सलाह दी जाती है कि सुरक्षात्मक गियर का उचित इस्तेमाल करें। जरूरत पूरी हो गई है, यह मानकर केवल संसाधनों की बर्बादी नहीं करनी चाहिए। बदलते हालात के साथ ही मंत्रालय विशेषज्ञों से सलाह लेकर नियमित अंतराल पर उचित दिशानिर्देश जारी कर रहा है।”
केंद्र ने राज्यों और अन्य केंद्रीय संस्थानों को अब तक 11.40 लाख N-95 मास्क और 90 लाख पीपीई किट मुहैया कराए हैं। अधिकारी ने कहा, “हमने 100 से अधिक घरेलू निर्माताओं की पहचान की है और लगभग दो महीनों में स्वदेशी रूप से एक मजबूत उद्योग विकसित किया है। इसमें रोजाना लगभग 3 लाख मास्क और पीपीई किट बनाने की क्षमता है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसके अलावा देश अब इन वस्तुओं के आयात पर निर्भर नहीं है।”
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने स्वदेश में बन रहीं पीपीई किटों की गुणवत्ता जांचने के लिए आठ प्रयोगशालाओं की पहचान की है।

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