हाईकोर्ट के इस रुख के बाद दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) अब अगले आदेश तक अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगी।
LAC Dispute : एमएनएम प्रमुख कमल हासन ने केंद्र को घेरा, कहा – पीएम मोदी से सवाल पूछना राष्ट्र विरोधी नहीं एफआइआर दर्ज होने के बाद गंगा राम अस्पताल प्रबंधन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जांच एवं आगे की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
इससे पहले 15 जून, 2020 को सर गंगा राम अस्पताल ( SGRH ) के मामले में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार ( Delhi Government ) से जवाब मांगा था। न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ( Video Conferencing ) के माध्यम से याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
बता दें कि कोरोना वायरस के उपचार मामले में निर्धारित गाइडलाइंस ( Guidelines ) का उल्लंघन करने पर अस्पताल के खिलाफ 5 जून को राजेंद्र नगर थाने में दिल्ली सरकार की तरफ से एफआइआर दर्ज करवाई गई थी। अस्पताल की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता रोहित अग्रवाल ने कोर्ट में कहा था कि चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ आइपीसी की धारा 188 के तहत यह रिपोर्ट दर्ज की गई है।
Army के उत्तरी कमान ने बिहार रेजिमेंट के सम्मान में ट्वीट किया वीडियो, कहा- ‘बैट्स नहीं, वे बैटमैन’ हैं अस्पताल प्रबंधन ने दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। इतना ही नहीं तत्काल प्रभाव से कोरोना मरीजों के नमूने लेने पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के 3 जून के आदेश को भी निरस्त करने की मांग एसजीआरएच ने क थी।
प्रबंधन का आरोप है कि एसजआरएच 675 बिस्तरों वाला अस्पताल है। दिल्ली सरकार ने इसे कोविड—19 अस्पताल घोषित किया था। इस वजह से अस्पताल के 80 फीसद बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए थे।
दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाया है कि अस्पताल कोरोना के नमूने एकत्र करते समय आरटी-पीसीआर एप का उपयोग नहीं कर रहा था। जबकि कोरोना के उपचार को लेकर जारी गाइडलाइंस के मुताबिक प्रयोगशालाओं के लिए आरटी-पीसीआर एप के माध्यम से नमूने एकत्र करना अनिवार्य है। यह भी आरोप है कि महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अस्पताल द्वारा कोरोना विनियमन मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा था।