दोनों डोज लगवा चुके लोगों में कितना है कोरोना का खतरा, जानिए क्या कहती है ICMR की रिपोर्ट
धीमी रफ्तार से भी दिक्कतयदि इसी रफ्तार से देश में टीकाकरण चलता रहा तो इम्यूनिटी टिकाऊ नहीं होगी क्योंकि तब तक छह माह से अधिक का समय बीत चुका होगा। शरीर में एंटीबॉडीज उतने मजबूत नहीं होंगे। इसलिए तेज रफ्तार से टीकाकरण जरूरी है। हालांकि धीमी गति से टीकाकरण के पीछे पर्याप्त टीकों की संख्या व ग्रामीण क्षेत्रों में टीके को लेकर हिचकिचाहट भी प्रमुख वजह है।
Covid-19 के डर से मां ने 5-वर्षीय बेटी की हत्या कर दी, पति ने बताया अलग ही कारण
ग्रामीणों में हिचकिचाहटदेश में कुल आबादी की केवल 4 फीसदी ही वैक्सीनेश किया जा सका है। इसमें ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन लगवाने को लेकर कई भ्रम भी हैं। इसलिए लोग वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे हैं।
कोरोना पर वैक्सीन बेअसर! टीकों के बाद भी संक्रमित हुए लोग, एक की इलाज के दौरान मौत
5.47 फीसदी को मिला कोरोना सुरक्षा का पहला टीकाइस तरह देश की अनुमानित आबादी 1.40 अरब की आबादी के अनुसार देश में 25.56 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है। इसी तरह 5.47 फीसदी लोगों का टीकाकरण हो चुका है।
यदि प्रतिदिन 32 लाख खुराक देने की औसत गति रहती है तो देश साल के आखिर तक वयस्क आबादी का 45 फीसदी व मार्च 2022 तक 60 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन करने में सफल होगा। यदि टीकों की उपलब्धता बढ़ती है तो गति में 30 फीसदी की वृद्धि कर 2021 के अंत तक 55 फीसदी वयस्क आबादी का टीकाकरण संभव है।
इस वक्त देश के सर्वाधिक संक्रमित राज्यों में से गुजरात में 27.94 फीसदी, दिल्ली में 27 फीसदी, कर्नाटक में 29.96 फीसदी, राजस्थान में 25.71 फीसदी, हरियाणा में 24.13 फीसदी, आंध्रप्रदेश में 22.30 फीसदी, मध्यप्रदेश में 20.12 फीसदी, महाराष्ट्र में 20 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 20 फीसदी, उत्तरप्रदेश में 13.11 फीसदी तथा बिहार में 11.08 फीसदी टीकाकरण हो चुका है।