हालांकि बांध टूंटने के साथ ही लोग जोर-जोर से चिल्लाते रहे भागो-भागो, लेकिन नदी की गर्जना इतना ज्यादा थी कि मजदूरों के कानों तक लोगों के चिल्लाने की आवाज ही नहीं पहुंच पाई। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो ये सब इतनी जल्दी हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
मौसम विभाग ने उत्तराखंड को लेकर जारी किया बड़ा अलर्ट, अगले 48 घंटे में बारिश बढ़ा सकती है मुश्किल ऋषि गंगा शीर्ष हिस्से से ढलान की ओर बहती है, इससे नदी का पानी तेज बहाव से निचले क्षेत्र में पहुंचा और सब कुछ तबाह करता हुआ आगे बढ़ गया।
रैणी गांव के एक स्थानीय निवासी के मुताबिक सुबह करीब साढ़े 9 बजे अचानक ऊंचे हिमालयी क्षेत्र से सफेद धुएं के साथ नदी मलबे के साथ बहकर आ रही थी। कई लोग तो नदी इस डरावनी आवाज की वजह से ही अपने घरों से बाहर निकल गए। लेकिन मजदूरों को नदी की गर्जना के चलते बांध टूटने की आवाज ही नहीं आई।
दरअसल ग्लेशियर टूटने से पहले तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के निर्माण में मजदूर काम कर रहे थे। जैसे ही धौली गांव का जलस्तर बढ़ने लगा, लोगों में अफरा-तफरी मच गई। कई लोग बैराज पर काम कर रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भागने के लिए आवाजें लगा रहे थे, तेज गर्जना से मजदूरों को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। देखते ही देखते बैराज और टनल मलबे में दफन हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो इस तरह का जल प्रलय पहले कभी नहीं देखा। 100 मजदूर फंसे
उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदादेवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों ने कहा कि जोशीमठ में धौली गंगा नदी का जल खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर बह रहा है।
ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ और अलकनंदा नदी तंत्र में एक जलप्रलय आई जिसमें पनबिजली स्टेशन बह गए और 100 से अधिक मजदूर फंस गए, जिनकी मौत होने की आशंका है।
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड में आई तबाही के बाद किया मुआवजे का ऐलान, मरने वालों के परिजनों को मिलेंगे 4-4 लाख रुपए 2013 की बाढ़ से ज्यादा पहुंचा जल स्तर
केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष सौमित्र हालदार के मुताबिक रविवार को ही 11 बजे, जोशीमठ में जल स्तर 1,388 मीटर दर्ज किया गया। दरअसल जल का ये स्तर 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ के दौरान, जोशीमठ में जल का उच्चतम स्तर जो 1,385.54 मीटर था उससे भी ज्यादा है।