1- गरीबी: राज्य में सबसे बड़ी चुनौती गरीबी है। बिहार लगातार गरीबी की ओर बढ़त रहा है। राज्य में कमाई की दर लगातार कम होती जा रही है, जिससे गरीबी बढ़ रही है। वर्ष 1960-61 में प्रति व्यक्ति आय 54.7 प्रतिशत थी। वहीं, 2018-19 यह घटकर 34.6 प्रतिशत हो गई है।
2- पलायन: बिहार से काफी संख्या में लोग अन्य राज्यों के लिए पलायन किए हैं। करीब 22.3 प्रतिशत लोग ही राज्य में खेती, मछली पालन, पशुपालन आदि करते हैं। वहीं, 6.8 प्रतिशत लोग ही कल-कारखानों में काम करते हैं।
3- मजदूरी: बिहार में बाल मजदूरी (15 वर्ष तक) ज्यादा है। राज्य में जहां 40.4 प्रतिशत लोग इस वर्गा का हिस्सा हैं, वहीं, उत्तर प्रदेश में यह संख्या 43.2 प्रतिशत औप हरियाणा में 46.2 प्रतिशत है।
4- बेरोजगारी: बिहार में बेरोजगारी भी अधिक है। केरल जहां 35.2 प्रतिशत के साथ पहले नंबर पर है। वहीं, बिहार 30.9 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है। 5- स्कूली शिक्षा: राज्य में ज्यादातर (करीब 25 प्रतिशत) बच्चे अभी भी स्कूल नहीं जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पांच में से एक बच्चा विभिन्न कारणों से स्कूल नहीं जा पाता।
6-उच्च शिक्षा: उच्च शिक्षा के मामले में भी बिहार काफी पीछे है। अच्छी शिक्षा के लिए युवा दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं। करीब पांच प्रतिशत युवा ही राज्य में उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं।
7- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: स्कूलों में अच्छी शिभा नहीं होने से छात्र प्राइवेट कोचिंग पर निर्भर हैं। करीब 27 प्रतिशत छात्र प्राइवेट कोचिंग पर निर्भर हैं।
8- शिक्षकों का अभाव: राज्य में अच्छे शिक्षकों का भी अभाव है। विभिन्न शैक्षणिक संस्थान 18.6 प्रतिशत तक शिक्षकों को प्राइवेट के रूप में हायर करते हैं।
9- बाल मजदूरी: राज्य में बाल मजदूरी (0-14 वर्ष ) अधिक हैं। इसमें 34.6 प्रतिशत लड़के और 33.6 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं।
10- स्वास्थ्य: राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत भी काफी खराब है। यहां पर सरकारी अस्पतालों की संख्या करीब 10 प्रतिशत और प्राइवेट अस्पताल 16 प्रतिशत हैं।