scriptदेवी का त्रिकोण करने से पूर्ण होती है मां विंध्यवासिनी की आराधना, पूरी होती है हर मनोकामना | three devi trikon on navratra in Mirzapur vindhyachal mandir | Patrika News
मिर्जापुर

देवी का त्रिकोण करने से पूर्ण होती है मां विंध्यवासिनी की आराधना, पूरी होती है हर मनोकामना

विंध्य पर्वत पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी की महिमा अपरम्पार है। इनके गुणों का बखान देवताओं ने भी किया है।

मिर्जापुरSep 23, 2017 / 06:20 pm

ज्योति मिनी

maa vindhyavasini

मां विंध्यवासिनी

मिर्ज़ापुर. विंध्य पर्वत पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी की महिमा अपरम्पार है। इनके गुणों का बखान देवताओं ने भी किया है। मां भक्तों के कल्याण के लिए सिद्धपीठ विन्ध्याचल में सशरीर विराजित माता विंध्यवासिनी का धाम मणि द्वीप के नाम से विख्यात है। मां के धाम में दर्शन पूजन करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विन्ध्य पर्वत की विशाल श्रृंखला को विन्ध्याचल में ही पतित पावनी गंगास्पर्श करती है। इसीलिए विंध्यक्षेत्र का आध्यात्मिक तौर पर खास महत्व है।
इसी स्थान पर आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी अपने पुरे शरीर के साथ विराजमान हैं। जबकि देश के अन्? शक्ति ?? पीठों पर सती के शरीरका एक-एक अंग गिरा है। देश के तमाम स्थानों पर शक्तिपीठ और विन्ध्याचल को सिद्धपीठ के नाम से जाना जाता है। यहां माता अपने तीनों रूप महालक्ष्मी, महाकाली व महासरस्वती के रूपों में तीन कोण पर विराजमान हो कर भक्तों को दर्शन देती हैं।
तीनों देवियों के त्रिकोण का दर्शन व परिक्रमा का विशेष महात्म्यपुराणों में किया गया है। देश के कोने-कोने से आने वाले भक्त मातारानी के दर पर मत्था टेकते हैं। साथ ही तीनो देवियों से बने त्रिकोण परिक्रमा करते हैं आदि काल से ही यह त्रिकोण ऋषियों मुनियों के लिए सिद्धि पाने के लिए तप स्थली रहा है।
देवासुर संग्राम के दौरान ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने माता के दरबार में तपस्या कर माँ से वरदान मांग कर शक्ति प्राप्त किया था। त्रिकोण पथ पर पहली देवी है। मां विंध्यवासनी जिन्हें महालक्ष्मी भी कहा जाता है। माता की पंचोपचार व षोडसोपच्चार विधि से पूजा की जाती है। आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी माँ की मार्कंडेय पुराण में देवी की महिमा का बखान करते हुए कहा गयाहै कि “यं यं चिन्त्यते कामं तं तं प्राप्नोति सर्वदा …….”।
भक्त जैसे -जैसे माता की आराधना करता है वैसे-वैसे उसकी मनोकामना सिद्ध होने लगती है। विन्ध क्षेत्र की महिमा अपर है। जिसका वर्णन देवता भी नहीं कर पाए। वहीं त्रिकोण पथ की दूसरी देवी है माँ काली जो की कालीखोह में विराजमान हैं। इन्हे महाकाली भी कहा जाता है। देश के तमाम मंदिरों में माता काली के सौम्य रूप का दर्शन मिलता है।जबकि विन्ध्य पर्वत पर विराजमान भक्तों को अभय प्रदान करने माता काली के आसमान की तरफ मुख खुले हुए दिव्य रूप का दर्शन मिलता है।
जो देवताओं को भी दुर्लभ है ,मान्यता है देवता देवासुर संग्राम में भयभीत होकर आदिशक्ति के शरण में आये उनकी पुकार सुनकर माता ने रक्तासुर का वध करने के लिए अपना खडग और खप्पर उठ लिया। रक्तासुर का रक्त धरती पर पड़ते ही असुरो की फ़ौज पैदा हो जा रही थी। रब देवी ने अपने मुंह को विशाल आकर दिया।
डाढ़े फैलाकर नीचे वाले को धरती व ऊपर के हिस्से को आसमान से सता दिया और देवी अपनी जिह्वा निकालकर रक्तासुर के रक्त का पान कर उस दुष्ट का वध किया। उसी रूप में काली खोह में विराजमान माता काली के इस रूप का दर्शन करने से शत्रु पराजित होते है त्रिकोणों पथ की सबसे अंतिम देवी है। मां अष्टभुजा विंध्य पहाड़ पर गुफाओ में विराजमान माँ अष्टभुजा को महा सरस्वती भी कहा जाता है।
मान्यता है कि, यह भगवान कृष्ण की बहन है जन्म के बाद जब क्रूर कंस ने जब इन्हे उठा कर पत्थर पर पटख़ने की कोसिस की तो वह कंस के हाथो से छूट कर आसमान के माध्यम से विंध्याचल विंध्य पर्वत पर गुफा में विराजमान हुई। देखने पर इनका मुख बच्चे की भांति नजर आता है। कहते है जो भी भक्त विंध्याचल दर्शन आये अगर वह त्रिकोण की परिक्रमा करे तो उन्हें दोगुना फल की प्राप्ति होती है।
विंध्याचल त्रिकोण पथ पर पहुंचने का मार्ग

धर्म नगरी काशी प्रयाग के मध्य स्थित विन्ध्याचल धाम आदि काल से देवी भक्तो के लिए आस्था का केंद्र रहा है। विन्ध्याचल जाने के लिए उत्तर रेलवे के ट्रेनों, सड़क व हवाई मार्ग से जाया जाता है। दिंल्ली- कोलकाता रेल मार्ग के बीच स्थित विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव नवरात्र में किया जाता है।
विंध्याचल मंदिर रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस अड्डा से मंदिर चंद फर्लांग ही दूर है। यहाँ से वाराणसी और इलाहाबाद से हर १५ मिनट पर बस की सेवा नवरात्र दौरान मिलती है। वहीं हवाई यात्रा करके माता के धाम में पहुंचने के लिए वाराणसी के बाबतपुर हवाई अड्डा पर उतर कर सड़क मार्ग से औराई होते हुए करीब 65 किलोमीटर की दूरी तय करके विन्ध्याचल पहुंचा जा सकता है। आने वाली समय योगी सरकार ने विंध्याचल को भी हवाई मार्ग से जोड़ने की घोषणा किया है।
input-सुरेश सिंह

Hindi News / Mirzapur / देवी का त्रिकोण करने से पूर्ण होती है मां विंध्यवासिनी की आराधना, पूरी होती है हर मनोकामना

ट्रेंडिंग वीडियो