Shardiya Navratri : इस बार नाव में सवार हो कर आएंगी मां दुर्गा, जानें कब शुरू हो रहे नवरात्रि
बीस वर्ष से साथ रह रहे बैल को उसने परिवार की तरह समझा। हर वर्ष वह उसे ब्रज घाट गंगा जी ले जाता था। उसका अंतिम संस्कार भी रीति रिवाज से करने की ठानी और बैल की शव यात्रा के साथ उसे दफनाया गया। इसके अलावा उसकी समाधि बनाने का ऐलान भी किया। इसके अलावा आत्मा की शान्ति के लिए यज्ञ और हवन भी कराया गया। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें गांव के लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर भाकियू नेता धूम सिंह भगत ने कहा कि जानवर के शरीर में भी जान होती है। सिर्फ फर्क यह होता है कि जानवर बोल नहीं सकता। परिवार के साथ रहने वाले जानवर भी परिवार का अंग होते हैं। इस मौके पर राहुल, मान सिंह, शौकेन्द्र, बलराम आदि मौजूद थे।