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एक-एक घर के सभी को जेल भेजने की धमकी
वीडियो में एसपी इस कदर गुस्से में थे कि जाते-जाते वहां खड़े लोगों को भी धमकी दे गए कि तुम लोग भी कीमत चुकाओगे। गुस्सा इस कदर था कि लौटकर वापिस आए और फिर वहां खड़े लोगों को धमकाते हुए कहा कि बता देना सालों को, इस गली को ठीक कर दूंगा। एक-एक घर एक एक आदमी को जेल भेज दूंगा मैं, सबको बर्बाद करके रख दूंगा, बता देना। कुल मिलाकर एसपी उत्तेजना में अपनी भाषा पर भी नियंत्रण नहीं रख पाए और खुद ही उत्तेजित शब्दों का प्रयोग करते चले गए। उनकी यह वीडियो अब सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है। हालांकि, पुलिस की यह ताकीद भी कुछ काम नहीं आई थी। शाम होते-होते शहर बवाल की चपेट में आ गया था।
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अपने इस रवैये को लेकर एसपी सिटी सवालों के घेरे में हैं। एक प्रशासनिक अधिकारी से इतने तल्ख माहौल में ऐसी उत्तेजित भाषा की उम्मीद नहीं की जाती। एसपी की भाषा पर सवाल इसलिए भी उठ रहा कि कुछ दिनों तक सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों की ओर से विरोध करने वालों के प्रति ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता था। अब इस तरह की भाषा पुलिस अफसर की ओर से इस्तेमाल किया जाना बहुत ही चिंताजनक है। अगर ऐसा हुआ तो लोग किस पर भरोसा करेंगे।
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एसपी सिटी के मुस्लिमों विरोधी बयान पर प्रियंका गांधी ने भाजपा सरकार पर बोला हमला
सीएए के विरोध में 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को पाकिस्तान जाने की बात कहना मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह को भारी पड़ता नजर आ रहा है। इसको लेकर सियासत भी गरमा रही है। इस वीडियो को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए ट्वीट करते हुए लिखा है कि भारत का संविधान किसी नागरिक के साथ इस प्रकार की भाषा के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने आगे लिखा है कि जब आप अहम पद पर बैठे अधिकारी हैं तो आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। भारतीय जनता पार्टी ने संस्थाओं में इस कदर सांप्रदायिकता का जहर घोल दिया है कि अब अधिकारियों को भी संविधान की कसम की कोई कद्र ही नहीं रह गई है।
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पुलिस अफसरों ने दी ये सफाई
वहीं, एसपी सिटी का इस पूरे विवाद पर कहना है कि कुछ युवक भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थित नारे लगाए जा रहे थे। उन्हें ही इस संबंध में समझाया गया था। उक्त युवकों की तलाश की जा रही है, जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, इस बयान पर हल्ला मचा तो मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उस समय जो उत्तेजना का माहौल था, उसमें अधिकारियों ने काफी संयम का परिचय दिया और किसी तरह का लाठीचार्ज और फायरिंग आदि नहीं की। हां, इस दौरान और बेहतर शब्दों का प्रयोग किया जा सकता था, लेकिन सिर्फ शब्दों को पकडक़र पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर देना सही नहीं है।