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Mother’s Day 2018: जिन्दगीभर स्कूली बच्चों को नसीहत दी, अब इस मां के बच्चों ने यहां की राह दिखा दी प्रिंट 299 रुपये का, खरीदा 135 में जिस जूते को बच्चों के लिए खरीदा गया उस जूते पर प्रिंट दाम 299 रूपये दर्ज हैं, जबकि जूता कागजों में 135 रूपये में खरीदा गया। बस विभाग के आलाधिकायों ने यहीं से खेल प्रारंभ कर दिया। जूता देखने पर ही करीब 50 से 70 रूपये से अधिक का नहीं लग रहा, लेकिन प्रिंट से कम दामों में दिखाकर यह दिखाने की कोशिश की गई कि जूता खरीदने में पारदर्शिता बरती गई हैं और प्रिंट रेट से कम दरों पर खरीदा गया है।
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भाजपा ने नवाज शरीफ से की चिदंबरम की तुलना करीब एक साल पहले से चल रही थी डील बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चाें के लिए जूता खरीदने की बात करीब एक साल से चल रही थी। बीते मार्च में भी एक नामी कंपनी के डीजीएम बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल से मिले थे, लेकिन उस दौरान बात नहीं बन पाई थी। कंपनी ने डीजीएम रेट और क्वालिटी पर अड़े हुए थे, जबकि मंत्री अनुपमा का कहना था कि रेट कम किए जाएं। कंपनी अपनी बात से पीछे नहीं हटी और वह डील कैंसिल हो गई थी, लेकिन उसके बाद विभाग ने साहिबाबाद की एक कंपनी से जूता खरीद की डील फाइनल कर डाली। जिस पर अब हंगामा मचा पड़ा है। जूता कंपनी पर आधी कीमत का जूता सप्लाई करने का आरोप लग रहा है। बीएसए सतेंन्द्र कुमार का कहना है कि जूता शासन स्तर से ही कंपनी के माध्यम से मंगवाया गया है। इसमें मेरठ बीएसए कार्यालय का कुछ लेना-देना नहीं हैं। जो जूते टूट रहे हैं वह गारंटी में हैं उन्हें बदलवाने के लिए शासन को लिखा गया है।