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यूपी के इस शहर के सवर्णों ने नरेंद्र मोदी से मांग लिए ये दो विकल्प, भाजपाइयों में मच रही अफरातफरी मुजफ्फरनगर से लड़ सकते हैं चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जमाने से बागपत लोक सभा सीट चौधरी परिवार की विरासत की सीट मानी जाती रही है। 1971 में चौधरी चरण सिंह ने यहां से पहली बार चुनाव लड़ा था। इसके बाद उनके बेटे अजित सिंह ने विरासत सीट के नाते चुनााव लड़ते रहे। अब अजित सिंह इस सीट को छोड़कर अन्य क्षेत्र की सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि कैराना उपचुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद रालोद में बहुत उत्साह है, इसलिए अजित सिंह मुजफ्फरनगर लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
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बिजली विभाग के इस पावरफुल प्लान के शिकंजे में आ रहे हैं बड़े चोर, मचा हुआ है हड़कंप बागपत की सीट जयंत के लिए रालोद मुखिया बागपत सीट अपने बेटे जयंत चौधरी के लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं। 2014 लोक सभा चुनाव में वेस्ट यूपी में रालोद का सूपड़ा साफ हो गया था। उसके बाद कैराना लोक सभा चुनाव में मजबूत प्रत्याशी हुकुम सिंह की बेटी को पराजित करके रालोद ने जिस तरह फिर से आधार खड़ा किया है उससे प्रत्येक रालोद नेता आैर कार्यकर्ता में जोश भर गया है। यही वजह है कि बड़े चौधरी अजित सिंह ने जयंत के लिए बागपत सीट छोड़ने का साहसी निर्णय लिया है। दरअसल, 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से रालोद का अपने वोट बैंक से जो नाता टूट गया था, पिछले साल कैराना उप चुनाव के बाद से जुड़ गया है।
दो दिन रहेंगे जयंत चौधरी जयंत चौधरी आठ व नौ सितंबर को मुजफ्फरनगर में रहेंगे। माना जा रहा है कि वह अजित सिंह के यहां से चुनाव लड़ने की तस्वीर को भी साफ करने पहुंच रहे हैं। जयंत चौधरी आठ सितंबर को यहां विश्राम भी करेंगे आैर खतौली व बुढ़ाना विधान सभा सीट के लोगों व कार्यकर्ताआें से बातचीत भी करेंगे।