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मेरठ

यूपी की जेलों में बंदियों का है कुछ ऐसा हाल, हकीकत जान हो जाए हैरान

पत्रिका की पड़ताल में आई जेलों की चाहरदीवारी के भीतर की हकीकत। प्रदेश में सबसे बुरी हालत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कारागारों की है। मेरठ, मुरादाबाद, सहानपुर मंडल के कारागारों में बंदियों की संख्या तादात से कई गुना अधिक है। हालांकि अब अधिकांश जिलों में नई बैरकों के बनाने की संस्तुति कर दी गई है। नई बैरक कब बनेगी यह तो समय ही बताएगा, लेकिन उससे पहले अव्यवस्थाओं का कारागार में जो आलम हैं उसके बारे में सिर्फ और सिर्फ कारागार अधिकारी ही जानते हैं।

मेरठNov 06, 2021 / 03:15 pm

Nitish Pandey

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मेरठ. उत्तर प्रदेश की जेलें ओवरक्राउडिंग से कराह रही है। पत्रिका के पड़ताल में प्रदेश के जेलों की यह हकीकत सामने आई। हकीकत ये है कि किसी-किसी जेल में ओवरक्राउड सौ प्रतिशत से अधिक है। बात मथुरा जिला कारागार की करें तो यहां पर बंदियों की क्षमता 552 है। जबकि कारागार में इस समय 1776 बंदी हैं। सोचिए इतनी बड़ी संख्या में ओवरक्राउड के बीच बंदियों को कैसे सुविधाएं मिलती होगी। कुछ ऐसा ही हाल मेरठ जेल का भी है।
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सितंबर 2020 में मेरठ दौरे पर आए डीजी जेल ने भी यह स्वीकारा था कि प्रदेश की जेलों में कैदियों की तादात क्षमता से कहीं अधिक है। उन्होंने स्वीकार किया था कि मेरठ में 60 प्रतिशत ओवरक्राउड है। बता दें कि मेरठ जेल की क्षमता 18 सौ बंदियों की है। जबकि यहां पर वर्तमान में 3000 के लगभग बंदी बंद हैं।
वहीं जेलों में सुरक्षा संबंधी स्टाफ भी आधे से भी कम है। बात चौधरी चरण सिंह जिला कारागार मेरठ की करें तो यहां पर सुरक्षा मानकों के अनुसार 3 हजार कैदियों की सुरक्षा के लिए जेल में 130 बंदीरक्षकों की जरूरत है। लेकिन वर्तमान में महज 80 बंदीरक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है। इसके अलावा 85 होमगार्ड की जरूरत है। लेकिन मात्र 30-35 होमगार्ड ही ड्यूटी पर हैं।
रोजाना आते हैं जेलों में 30-40 नए बंदी

जेल प्रशासन से हुई पत्रिका की बातचीत में उन्होंने स्वीकारा कि जेल में प्रतिदिन 30-40 नए बंदी जेल के भीतर आते हैं। जिसके चलते मौजूद सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जेल की क्षमता व संसाधनों में बढ़ोत्तरी न करने पर स्थिति विकट होती जा रही है।
इन जिलों की जेलों में नई बैरकों का प्रस्ताव

प्रदेश में जिन जिलों में क्षमता से कई गुना अधिक बंदी बंद हैं वहां पर नई बैरकों की व्यवस्था की जा रही है। इन जिला जेलों में बिजनौर में 20 अतिरिक्त बैरकें बन रही हैं। मुरादाबाद में भी नई बैरकों के लिए जमीन अधिग्रहीत कर ली गई है। वहीं मुजफ्फरनगर, मेरठ, फिरोजाबाद आदि जिला जेलों में भी नई बैरकों के बनने के प्रस्ताव पर मोहर लग चुकी है।
ये हैं प्रदेश की जेलों में बंदियों के रहने की स्थिति

यूपी की जेलों में 54397 पुरुष बंदियों के रहने की व्यवस्था है जबकि अभी 23841 सिद्धदोष और 77509 विचाराधीन पुरुष बंदी जेलों में बंद हैं। इसी प्रकार प्रदेश की जेलों में 3219 महिला बंदियों की व्यवस्था है जबकि अभी 1001 सिद्धदोष और 3596 विचाराधीन महिला बंदी जेलों में बंद हैं। प्रदेश के 63 जिला कारागारों में से सबसे खराब स्थिति मुरादाबाद जेल की है। जहां क्षमता से 4.85 गुना अधिक कैदी बंद हैं। प्रदेश की जेलों में 1.8 गुना ओवरक्राउडिंग है। जेलों की विचाराधीन महिला बंदियों के साथ रह रहे उनके बच्चों में 176 लड़के और 209 लड़कियां हैं।
ये हैं प्रमुख कारागारों की स्थिति

जिलाक्षमतावर्तमान में बंदी
बिजनौर5801239
मेरठ18003000
मुरादाबाद7303500
सहारनपुर5301700
मुजफ्फरनगर8502589
बागपत802789
देवबंद13115
आगरा11953082
अलीगढ़11783800
फिरोजाबाद8551900
एटा6071346
इटावा6101942
मथुरा5521776
बढ़ी बैरकों में बंदियों की क्षमता तो तोड़ दिए गए चबूतरे

जेलों में बंदियों की क्षमता बढ़ने लगी तो बैरकों के भीतर बंदियों के लेटने सोने के लिए बने चबूतरों को जेल प्रशासन ने तुड़वा दिया। जिससे कि बंदियों के रहने के लिए जगह मिल सके। अब बैरकों के भीतर बंदी चबूतरों पर नहीं नीचे फर्श पर सोते हैं।
बोले अधिकारी

जेलों के भीतर बंदियों का बढता ओवरक्राउड जेल प्रशासन के लिए चुनौती बन रहा है। इस बारे में जब पत्रिका संवाददाता ने डीजी जेल आनंद कुमार से बात की तो उनका कहना था कि जेलों को नए सिरे से निर्माण की प्रक्रिया के बारे में प्रयास चल रहे हैं। कुछ जेलों में नई बैरकें बनना प्रस्तावित है। जेल में बंदियों की बढ़ती संख्या वाकई एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि आने वाले दो साल में जेलों की ओवरक्राउड खत्म होगी

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