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मेरठ

गांव में साकार हो रहा प्रधानमंत्री मोदी का डिजिटल इंडिया का सपना

मेरठ में इस समय 479 गांव में हैं इन गांव में अधिकांश गांवों में अब पूरी तरह से समान खरीदने पर रुपये देने के तरीके में बदलाव आ गया है।

मेरठAug 26, 2021 / 02:46 pm

Nitish Pandey

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मेरठ. गांवों में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) का डिजिटल इंडिया (Digital India) का सपना साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री (PM Modi) के इस सपने को पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के ग्रामीण साकार कर रहे हैं। शहरों के बाद अब गांवों में भी इस समय प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) की बयार चल रही है। आजकल अब गांवों में रुपये लेकर चलना गुजरे जमाने की बात हो गई है। घर में बड़े बुजुर्ग के हुक्के का तंबाकू खरीदना हो या फिर उनके लिए बीडी का बंडल अब गांव की गलियों में खुली छोटी दुकानों में भी इन छोटे से छोटे समान का पेमेंट पेटीएम (Paytm Payment) से हो रहा है। इससे जहां ग्रामीणों को लाभ है वहीं दूसरी ओर गांव-कस्बों के दुकानदारों को भी इसका लाभ मिल रहा है। मेरठ के हर गांव और कस्बों में डिजिटल पेंमेट (Digital Payment) से समान खरीदने के मामले में तेजी आई है।
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नहीं चलता जेब में पैसे नहीं या घर भूल आए का बहाना

दौराला कस्बे में पिछले 20 साल से परचून की दुकान करने वाले सन्नी का कहना है कि नोटबंदी के बाद से उन्होंने पेटीएम से पेमेंट (Paytm Payment) लेना शुरू किया था। नोटबंदी के बाद दुकान में उधारी लेने वाले ग्राहक बहुत आने लगे थे। कोई बैंक से रुपये नहीं मिलने का बहना बनाता तो कोई 500 और दो हजार का नोट दिखाता था। लेकिन जब से पेटीएम (Paytm) शुरू हुआ ये बहाना खत्म सा हो गया है। अब तो गांव में 80 प्रतिशत युवा डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) ही करते हैं। एक किलो चीनी भी लेनी होगी तो उसका पेटीएम (Paytm) कर देते हैं।
एकाउंट जीरो होने का झंझट खत्म

एक और दुकानदार शिवेंद्र का कहना है कि इससे व्यापारियों की छोटी पेमेंट नहीं मरती है। कल दे जाऊंगा या फिर ले लेना। अब इस तरह की बातें ग्राहक नहीं करता। उन्होंने बताया कि अब बैंक में खाते के जीरो होने का झंझट भी खत्म हो गया है। पेटीएम (Paytm) या गुगल पे (Google Pay) से की हुई पेमेंट सीधे बैंक के खाते में जाती है। जिससे खाता में हमेशा पैसा पड़ा रहता है। पहले खाते में रुपये नहीं होने पर पैनल्टी या ब्याज लगने लगता था। इससे अब ऐसा नहीं है।
गन्ने का जूस और जलेबी हलवाई भी लेता है पेटीएम

मेरठ में इस समय 479 गांव में हैं इन गांव में अधिकांश गांवों में अब पूरी तरह से समान खरीदने पर रुपये देने के तरीके में बदलाव आ गया है। अब दुकानदार से ग्रामीण सामान खरीदते हैं और पेटीएम (Paytm) या गूगल पे (Google Pay ) कर देते हैं। गन्ने के जूस निकालने वाला हो या फिर ठेले पर जलेबी बनाने वाला हलवाई। दोनों ही भीम ऐप (BHIM App) से भुगतान स्वीकार कर रहे हैं। यहां तक कि सब्जी बेचने वाला भी ईपेमेंट स्वीकार कर रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भीम ऐप का अधिक क्रेज

शिवेंद्र बताते हैं कि क्षेत्र में भीम ऐप से पेमेंट करने वाले लोगों की संख्या अधिक है। जब से भीम ऐप (BHIM App) आया है करीब 90 प्रतिशत लोगों के मोबाइल में ये लोड हो चुका है। अधिकांश लोग इसी से पेमेंट कर रहे हैं।
डिजिटल पेमेंट के साथ बढा साइबर क्राइम

डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) के साथ ही साइबर क्राइम (Cyber Crime) का भी खतरा बढ रहा है। लोगों को डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) करते समय इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
बोले पेटीएम अधिकारी

पेटीएम (Paytm) के दिल्ली टेरिटरी के सेल्स और विज्ञापन प्रेसीडेंट समीर कपूर ने बताया कि कोरोना संक्रमण (Corona) के बाद 30 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। कुल लेनदेने में कंपनी का योगदान 60 प्रतिशत है। हर महीने कंपनी 80 करोड़ का भुगतान कर रही है। हमारी कोशिश ज्यादा से ज्यादा हर भारतीय के मोबाइल में पहुंचने की है। कंपनी अपने मोटो में सक्सेस भी हो रही है।

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