जो कहानी गढ़ी गई है, उसके मुताबिक मुख्तार अंसारी मुन्ना बजरंगी और बृजेश सिंह की बढ़ती नजदीकी से नाराज चल रहा था। इसकी बड़ी वजह ये बताई जा रही है कि 100 करोड़ रुपये के बालू के ठेके पर कब्जा करने के लिए बृजेश और मुन्ना करीब आ चुके थे। यहां तक कहा जा रहा है कि दोनों के बीच टेंडर को लेकर समझौता भी हो चुका था। यानी बदलते समय के साथ दोनों डॉन के बीच दोस्ती बढ़ती जा रही था। इसी बात ने मुख्तार और मुन्ना के बीच दूरियां बढ़ा दी थी।
हालांकि, मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या के मामले में उनकी पत्नी के भाई सत्यजीत सिंह ने खुलकर आरोप लगाया था कि सफेदपोश नेताओं के इशारे के साथ ही शासन और प्रशासन की साजिश की तहत उनके जीजा मुन्ना बजरंगी की हत्या कराई गई है। उन्होंने आरोप लगाया था कि अगर सरकार सचेत होती तो उनके जीजा जिंदा होते। मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने तो प्रधानमंत्री मोदी के मंत्री मनोज सिंहा तक का नाम आया था, लेकिन इस दिशा में जांच की कोई खबर नहीं है।
गौरतलब है कि तकरीबन तीन दशक में उत्तर प्रदेश के दो बड़े माफिया ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है। इस जंग में बदले की भावना में अनगिनत लाशें गिर चुकी हैं। कहा जाता है कि इस गैंगवार को कभी मुख्तार ने ब्रजेश की कमर तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया था तो कभी मुख्तार पर जानलेवा हमला हुआ। खास बात ये है कि गैंगवार की इस कहानी में एके-47 से लेकर सियासी रंजिशें और जेल में हत्या से लेकर बीच बाजार में चलती गोलियां शामिल हैं।