बता दें कि इस समय जितने भी डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। उनमें अधिकांश ग्रामीण इलाकों और शहर के मलिन बस्तियों के हैं। मेरठ में आए रहे डेंगू के मामलों में इनका योगदान 80 प्रतिशत का है। मेरठ स्वास्थ्य विभाग विशेषज्ञ टीमों में रोग नियंत्रण केंद्र व मच्छर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अधिकारी शामिल किए गए हैं। वहीं अगर मेरठ में डेंगू के मामलों को देखें तो इस साल अभी तक 115 डेंगू के मामले सामने आए हैं। ये सभी अक्टूबर और नवंबर के महीने में सामने आए हैं। यह आंकड़े पिछले दो सालों में सबसे अधिक है।
मेरठ के पड़ोसी जिले गाजियाबाद में तो डेंगू से हालात और अधिक खराब हैं।
गाजियाबाद में सबसे अधिक डेंगू के मरीजा साहिबाबाद और मकनपुर के हैं। डेंगू के अधिकांश मरीज अक्टूबर में सामने आए हैं। मेरठ और गाजियाबाद ही नहीं मंडल के सभी जिलों का यही हाल है। मंडल के जिलों में डेंगू के सबसे अधिक मरीज पाए गए हैं। हालांकि तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह भी है कि मरीजों की हालत अधिक गंभीर नहीं है। जिले में मिले डेंगू के मरीजों में करीब 45 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी है। बता दें कि डेंगू वायरस संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलते हैं। इसकी चपेट में आने के बाद मरीज को बुखार, शरीर में दर्द, उल्टी और ब्लडप्रेशर में गिरावट आती है।