AIDS की बीमारी, पेट में बच्चा, पति ने कहा था- मैं बदचलन औरत को साथ नहीं रख सकता
जिस समय मेरी शादी हुई उस दौरान उम्र 20 साल थी। मेरठ के मेडिकल में जांच के दौरान पता चला कि मुझे एड्स है। पति ने बदचलन का आरोप लगाया और मुझे गर्भवती होने के बाद भी छोड़ दिया। पति द्वारा छोड़े जाने के बाद मैने खुद ही एड्स से लड़ते हुए जिंदगी जीने का फैसला किया। यह फैसला मैने अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए किया था। फैसला सही था या गलत यह उस समय पता नहीं था। लेकिन डर रही थी कि अगर पैदा होने वाले बच्चे को भी एड्स हुआ तो क्या होगा!
छुपाई बीमार और कपड़े सिलकर गुजारे 20 साल सीमा कहती है वह सिर्फ 10 वीं पास थी। 10 वीं पास को नौकरी कहां मिलती, मैने पहले घरों में साफ—सफाई का काम किया। इसके बाद जो समय मिलता उससे सिलाई सीखती थी। काम से मिले रुपये बचाकर उसमें से 1400 रुपये में सिलाई मशीन खरीदी और उसके बाद मेरी जिंदगी सिलाई मशीन के पहिए की तरह दौड़ने लगी।
बेटे को देख बढ़ा जीने का हौसला एड्स पीड़ित सीमा के जीने का हौसला बेटे को देखकर बढ़ता चला गया। मेडिकल के एआरटी सेंटर के एक चिकित्सक ने एड्स से लड़ने में मेरा हौसला बढ़ाया। पति द्वारा छोड़े जाने के बादे में जब रिश्तेदारों को पता चला तो वो उल्टा मेरे ऊपर इल्जाम लगाने लगे। ससुरालवालों ने मुझे बिना बताए ही पति की दूसरी शादी कर दी।
एनजीओ की नहीं ली कोइ मदद एड्स पीड़ितों की मदद के नाम पर तमाम एनजीओ हैं। मेरे पास भी कई एनजीओ मदद के लिए आए। लेकिन मैने सबको मना दिया। अगर एनजीओ के संपर्क में आती तो आसपास के लोगों को पता चलता,इसके बाद बेटे की जिंदगी काफी मुश्किल भरी हो जाती। बेटे के खातिर ही मैने अपनी बीमारी को राज रखा।
10 साल के बेटे को पता चला मां के एडस का जब कार्तिक दस साल का था तब मैने उसको अपनी बीमारी के बारे में बताने का फैसला किया। बेटे को लेकर मेडिकल एआरटी सेंटर गई तो कार्तिक पूछने लगा मॉ यहां क्यों आई हो। तब मैने बेटे को बता दिया कि उसकी मां को एड्स है। मेरी बीमारी के बारे में जब कार्तिक को पता चला तो बहुत गुमसुम हो गया। लेकिन मैने उसको समझाया। आज कार्तिक मुझे समझाता है।
यूपी में बढ़ रही एडस मरीजों की संख्या नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन यानी नाको के आंकड़ो के मुताबिक यूपी में इस समय एड्स मरीजों की संख्या 1.20 लाख है। मेरठ मंडल में एड्स मरीजों की कुल संख्या 19,010 है।
अनजाने में मिल रही एडस की सौगात मेरठ नाको सेंटर के प्रभारी डा0 तुंगवीर सिंह आर्य कहते हैं कि एड्स की बीमार लोगों को अनजाने में मिलती है। इनमें झोलाछाप चिकित्सक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सरकार को इन पर रोक लगानी चाहिए। सीमा का मामला भी ऐसे ही है। उसको झोलाछाप चिकित्सक से इलाज कराने पर ही ये बीमारी मिली थी। खुद को एचआईवी होने के बाद भी उसने सावधानी बरती और एक दूरी बनाए रखी।
पांच साल से आई सीमा के संपर्क में एनजीओ संचालिका कल्पना का कहना है कि वो पांच पहले सीमा के संपर्क में आईं। लेकिन सीमा ने किसी भी प्रकार की मदद लेने से इंकार कर दिया। कल्पना ने बताया कि सीमा का आत्मविश्वास देख वो दंग रह गई।
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