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Mahashivratri 2019: जय शिव…जय भोलेनाथ से गूंजे शिवालय, सुबह इतने बजे से लगनी शुरू हुर्इं भक्ताें की कतारें लोक सभा चुनाव के लिए पूरब में खेला ब्राह्मण कार्ड सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद मायावती लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेल रही हैं। आम चुनाव 2019 के लिए पूरब में बसपा सुप्रीमो ने अभी तक जितने भी लोकसभा प्रभारी घोषित किए हैं, उनमें सबसे बड़ी तादाद ब्राह्मण समुदाय के नेताओं की है।
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महाशिवरात्रि को सदी में पहली बार पड़ रहा ये दुर्लभ योग, इन समय पूजा करना होगा बहुत लाभदायक पश्चिम की तुलना में पूरब में कमजोर बसपा बसपा में माना जाता है कि जिन्हें लोकसभा प्रभारी बनाया जाता है, वही उम्मीदवार होते हैं। बसपा के लिए पश्चिम यूपी की तुलना में पूर्वी उत्तर प्रदेश थोड़ा कमजोर माना जाता है। ऐसे में मायावती ने बड़ा दांव चला है। बसपा सुप्रीमो ने रविवार को उत्तर प्रदेश में 18 प्रभारियों के नाम घोषित किए हैं। हालांकि इनमें से कई नामों का ऐलान पहले ही किया जा चुका है। बसपा ने ब्राह्मण कार्ड के रूप में भदोही से रंगनाथ मिश्रा, सीतापुर से नकुल दुबे, फतेहपुर सीकरी से सीमा उपाध्याय, घोसी से अजय राय, प्रतापगढ़ से अशोक तिवारी और खलीलाबाद से कुशल तिवारी के नाम लगभग तय माना जा रहे हैं। पूर्वांचल ब्राह्मण को मजबूत गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि बसपा पूर्वी उत्तर प्रदेश से 6 ब्राह्मण चेहरे उतारने का मन बना चुकी है।
पूर्व की अाजमाई नीति पर काम कर रही बसपा दरअसल, उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कार्ड चलने के पीछे बसपा की आजमाई नीति ही काम कर रही है। 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने दलित-ब्राह्मण की कैमेस्ट्री का प्रयोग किया, जिसका उसे बड़ा राजनैतिक लाभ मिला था।
पश्चिम में नहीं कर रही परिवर्तन बसपा के पश्चिम कोर्डिनेटर शमसुद्दीन राइन के अनुसार बहन जी पश्चिम उप्र में कोई बड़ा फेरबदल नहीं कर रही हैं। महागठबंधन के समझौते में मिली सभी सीटों पर दमदार प्रत्याशियों को उतारने की कवायद चल रही है।
मायावती के जन्मदिन पर उमड़ा था सैलाब पिछले दिनों मायावती के जन्मदिन के मौके पर पश्चिम उप्र में हुए कार्यक्रमों में बसपाइयों की भीड़ देखने लायक थी। जिसमें केक की मारामारी और अपने बसपा सुप्रीमो के जन्मदिन मनाने के लिए पश्चिम के हर जिले में बसपा से जुड़े हर वर्ग में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला था। वहीं पूरब के जिलों में यह उत्साह नाममात्र को ही दिखा था। बसपा सुप्रीमो के सूत्रों ने यह बात भी उन्हें बताई। जिससे वे काफी सतर्क हो गईं हैं, खासकर पूर्वी उप्र को लेकर।