यह भी पढ़ेंः
#UPDusKaDum यूपी के इस शहर के इन 10 खिलाडिय़ों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, जानिए इनके बारे में हिन्दू-मुस्लिमों के बीच रहा ऐसा तालमेल 22 जनवरी 1920 को मेरठ पहुंचे गांधी जी मेरठ में 30 जनवरी तक रुके थे। आठ दिन के उनके कार्यक्रमों ने ब्रिटिश हुकूमत में ऐसी हलचल मचाई कि इसकी गूंज ब्रिटेन तक पहुंच गई। मेरठ में जो अंग्रेज अधिकारी थे उनको तुंरत बदल दिया गया। उनकी जगह दूसरे तेजतर्रार अधिकारी को मेरठ यूनिट की कमान सौंपी गई। मेरठ में अपने दौरे के दौरान गांधी जी ने जो हिंदू-मुस्लिम एकता का माहौल तैयार किया, उससे अंग्रेजी हुकूमत हिल गई थी। यहां गांधी जी ने मेरठ में कई जनसभाएं और रैलियां की थी। इस दौरान हिंदुओं ने चांद सितारा का परिधान पहना था और मुस्लिम पीला तिलक लगाकर जनसभाओं और रैलियों में शामिल हुए थे।
यह भी पढ़ेंः
बकरीद पर शहर काजी ने कहा- मुसलमान भटक गया है, अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से तौबा करें, देखें वीडियो आने पर निकाला गया भव्य जुलूस गांधी जी के मेरठ आगमन के बाद देवनागरी स्कूल में उनका स्वागत किया गया इसके बाद भव्य जुलूस निकला गया था। जुलूस में कई लोग दूसरे देश जैसे मिश्र, अरब और तुर्की के परिधानों को पहनकर चल रहे थे और भारत की स्वाधीनता का समर्थन कर रहे थे। इनमें से कई घोड़ों-साइकिल पर सवार थे तो कई नंगे पांव ही जोश के साथ आगे हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए चल रहे थे। जुलूस में शामिल हिंदुओं ने जहां चांद-सितारा का चिह्न् अपने पोशाक पर लगाया था वहीं मुस्लिमों ने पीला चंदन का तिलक लगाया हुआ था। दोनों ही वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे। यह जुलूस कम्बोह गेट तक पहुंचा तो वहां जनसभा हुई। यहां गांधीजी का नागरिक सम्मान भी हुआ था। जुलूस में जो लाइनें बार-बार दोहरायीं जा रही थीं, वे थीं – ‘पाखंड और चिकनी-चुपड़ी बातें करने से सच्ची एकता प्राप्त नहीं हो सकती। आप दूसरों को तो धोखा दे सकते हैं, लेकिन ईश्वर को नहीं।’
यह भी पढ़ेंः
VIDEO: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- अनुच्छेद 370 और 35 A देश के लिए बड़ा कलंक, इनका सपना किया पूरा फिर 9 साल बाद आए थे गांधी जी दूसरी बार गांधीजी का मेरठ आगमन 1929 में हुआ। वह इस बार सविनय अवज्ञा आंदोलन से पहले मेरठ में माहौल बनाने पहुंचे थे। वह इस दौरान मेरठ के जेल में बंद कैदियों से मिले। गांधीजी का अंतिम मेरठ दौरा 1931 का रहा। वह तब गांधी आश्रम में रुके थे। यहां से लौटने के बाद उन्होंने अपने समाचार पत्र ‘नवजीवन’ में गांधी आश्रम की गतिविधियों और भावी योजनाओं के बारे में विस्तार से लिखा था। इतिहासकार डा. अमित पाठक का कहना है कि मौजूद दस्तावेजों में गांधी जी के मेरठ में तीन बार आना दर्ज है। वह जब भी यहां आए गांधी आश्रम में जरूर रुके। उनके कार्यक्रमों में मेरठ ही नहीं अन्य क्षेत्रों के लोग भी शामिल होते थे।
UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh
Facebook पर Like करें, Follow करें
Twitter पर ..