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27 जुलाई को पड़ेगा सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा ग्रहण पंडित कैलाश नाथ द्विवेदी के अनुसार गुरु पूर्णिमा 27-28 जुलाई को खग्रास यानी पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह ग्रहण कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा और बड़ा चंद्रग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 55 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। पंडित द्विवेदी के अनुसार यह एक खगोलीय घटना है। जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है।
मेरठ में ये होगा स्पर्श काल मेरठ में इसका स्पर्श 27 जुलाई की रात्रि 11.58 पर होगा तथा मोक्ष 28 जुलाई की भोर 3.53 बजे होगा। चन्द्र ग्रहण का आरम्भ 28 जुलाई की भोर 1.04 पर होगा। मध्य 1.56 एव समाप्ति 2.47 बजे होगी।
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सदी के इस सबसे बड़े चंद्रग्रहण पर इन लोगों की बदल जाएगी तकदीर इन राशियों के लिए रहेगा अशुभ उन्होंने बताया कि यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तर आषाढ़ श्रावण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है, उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ, वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।
यह होगा सूतक काल पंडित कैलाश नाथ द्विवेदी का कहना है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा 27 जुलाई को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर पहले यानी शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं।
चंद्र ग्रहण के दौरान ये कार्य वर्जित उन्होंने आगे बताया कि ग्रहण काल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है। ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। वैसे यह ग्रहण मध्यरात्रि से लेकर तड़के के बीच होगा इसलिए धरती के अधिकांश देशों के लोग निद्रा में होते हैं। ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है। उन्होंने आगे बताया कि ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डाला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं।