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भाजपा की इस बड़ी बैठक के खिलाफ अधिवक्ताआें ने दी यह कड़ी चेतावनी, चारों आेर मच गर्इ खलबली प्रदेश कार्यसमिति बैठक की तैयारी पूरी मेरठ में होने वाली प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक की तैयारी पूरी हो चुकी है। प्रदेश भर से आने वाले मेहमानों के स्वागत के लिए मेरठ में चारों ओर भाजपा पदाधिकारियों और समर्थकों ने अपने होर्डिंग्स आैर बैनर लगाए हैं। इन होर्डिंग्स और बैनरों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा अन्य लोगों मौजूद हैं, लेकिन भाजपा को इस मुकाम पर पहुंचाने में जिन्होंने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया उनका कहीं कोई जिक्र तक नहीं है। हालांकि कार्यक्रम स्थल पर अटल बिहारी वाजपेयी का कटआउट कार्यक्रम स्थल पर लगाया गया है।
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स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने 2019 से पहले राम मंदिर को लेकर भाजपा को दी यह चेतावनी, मच गर्इ खलबली 2014 में ही लिख गई मोदी युग की पटकथा 2014 में केंद्र की सत्ता में आई और उसके बाद 2017 में उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में जो खुशी देखी गई, वह तो मोदी युग के शुरू होने की कहानी बयां कर ही रही थी। बीजेपी के लिए 2014 का चुनाव कई मायनों में अलग रहा था। इसी चुनाव से मोदी युग की पटकथा लिखी जा रही थी। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी नहीं थे। आडवाणी भी चुनाव में कम ही दिखाई दिए। सुषमा स्वराज के भाषण भी कम ही सुनाई दिए थे। कुल मिलाकर उसी चुनाव के बाद से बीजेपी के लिए एक युग का अंत की शुरूआत हो चुकी थी।
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राम मंदिर पर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरी की भाजपा को ये चेतावनी टिकट के बंटवारे भी इसी आधार पर हुए बीजेपी में हुए टिकट बंटवारे ने एक बात साफ कर दी थी कि पार्टी में ट्रांजिशन ऑफ पावर हो चुका था। खासकर उत्तर प्रदेश या फिर हिंदी भाषी क्षेत्रों में जो टिकट के बंटवारे हुए थे, उनमें ऐसे लोगों को साइड लाइन किया गया जो अटल या आडवाणी के खास माने जाते थे। 2014 में चुनाव के दौरान टिकटों के बंटवारे ने भाजपा में ये दिखा दिया था कि पार्टी के भीतर अटल, आडवाणी युग खत्म हो गया है। वाराणसी की सीट का नरेंद्र मोदी का पास होना और लखनऊ की सीट राजनाथ सिंह के पास होना इस बात का मतलब था कि अब अगर किसी की पार्टी में चलेगी तो वे ये हैं। 2014 में ही भाजपा के दिग्गज और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए खाली करना पड़ा था।
वाजपेयी की सीट राजनाथ सिंह के पास वहीं 1991 से बीजेपी के पास रही लखनऊ सीट राजनाथ सिंह ने हथिया ली थी। यह वही सीट है जहां सक्रिय राजनीति से दूर हुए अटल बिहारी वाजपेयी का जादू अब भी चलता है। हालांकि जब मोदी को पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की कमान सौंपी गई थी, तभी ये बात साफ हो गई थी कि बीजेपी में पुराने और वरिष्ठ नेता अब सेंटर स्टेज पर नहीं रहे। अब कमान नरेंद्र मोदी के हाथ में है। इसने साफ कर दिया है कि अब पार्टी की कमान पूरी तरह इन्हीं तीनों के हाथ में है और मोदी सेंटर स्टेज पर हैं।
मेरठ से रहा है अटल का पुराना नाता मेरठ से अटल बिहारी वाजपेयी का पुराना नाता रहा है। अटल जी मेरठ बराबर आते रहते थे। मेरठ के पुराने दिग्गज नेता चाहे वो भाजपा के हो या फिर छात्र संघ की राजनीति से जुड़े हुए हों, अटल जब भी मेरठ आए इन नेताओं के घर जरूर गए। इनमें पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, शकुन्तला कौशिक, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष विघ्नेश त्यागी आदि शामिल है।